ABP के नये वाइस प्रेसिडेंट : 30 साल बाद पत्रकारिता में एक और 'एसपी'

संत प्रसाद राय अब एबीपी के नये वाइस प्रेसिडेन्ट हैं। देश के युवा होनहार और सफलतम टीवी न्यूज़ संपादक....'

Update: 2022-07-29 08:17 GMT

Sant Prasad join ABP News : संत प्रसाद राय अब एबीपी के नये वाइस प्रेसिडेन्ट हैं। देश के युवा होनहार और सफलतम टीवी न्यूज़ संपादक। किसी नये नवेले हिन्दी चैनल को देश का नंबर वन चैनल बना देने का संपादकीय जादूगरी कोई संत प्रसाद से ही सीख सकता है। यह काम अर्णब गोस्वामी ने भी किया, रजत शर्मा ने भी किया- लेकिन उनकी बात जुदा है क्योंकि वे पत्रकार से ज्यादा टीवी चैनल के स्वामी रहे। इस रूप में सफलतम लोगों के नामों में कई अन्य नाम भी मिल जाएंगे। प्रणव राय जैसे दिग्गज पत्रकार की गिनती ऐसे सफलतम लोगों में होती है जो पत्रकारिता के निचले पायदान से महत्तम ऊंचाई हासिल की।  

संत प्रसाद राय उर्फ एसपी (राय) की तुलना हम दिवंगत एसपी (सुरेंद्र प्रताप जी) से करें तो कई लोगों को यह हजम नहीं होगा। मगर, संत के साथी होने के नाते यह मेरी निर्गुण विवेचना है कि संत की कॉपी यानी लेखनी निश्चित रूप से दर्शकों को वैसे ही बांधती है जैसे कभी एसपी की लेखनी पाठकों और दर्शकों को बांधा करती थी। जनता से जुड़ने और जुड़े रहने के लिए सतत प्रयास, नब्ज को थामे रखना और ऐसे ही कई गुण दोनों एसपी में समान रूप से देखे जा सकते हैं।

संत प्रसाद राय और मैं अगल-बगल ही बैठा करते थे। दोनों समकक्ष थे। मगर, काम में उनके समर्पण और योग्यता ने जल्द ही उन्हें ऊंची जगह पर आसीन बनाना शुरू कर दिया था। यह बात सन् 2003 की है जब हम सहारा समय के एमपी-छत्तीसगढ़ में हुआ करते थे। संत इससे पहले ईटीवी के एंकर थे। हमारे साथ तब प्रमेंद्र मोहन जी, सुनील पांडेय जी, एसके सिंह, रोहित सरदाना (ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें), अखलाक अहमद उस्मानी, अनन्त भट्ट, आशुतोष पाठक, कुमार मनोज जैसे साथी हुआ करते थे। हमारे टीम लीडर थे चैनल प्रमुख मुकेश कुमार जिन्हें पत्रकारिता में सबसे ज्यादा नये टीवी चैनल लाने का श्रेय है।

उस दौर को छोड़ दें जब संत प्रसाद राय चैनल बदलते हुए अपनी प्रोफाइल मजबूत करते रहे थे। करीब 10 साल पहले न्यूज़-24 में अजीत अंजुम जी ने संत को अपने चैनल का आउटपुट हेड चुना था। ठीक उसी समय मैं भी हमार टीवी जो बाद में चलकर न्यूज़ वर्ल्ड इंडिया बना, का आउटपुट हेड चुना गया। मुझे चुनने वाले थे कुमार राजेश जी, जो आजतक के संस्थापक पत्रकारों में और तब के एसपी (सुरेंद्र प्रतापजी) के साथ काम कर चुके पत्रकार थे। संत ने मन लगाकार न्यूज़-24 में खुद को स्थापित किया। बाद में उन्हें इंडिया टीवी में बड़ी जिम्मेदारी मिली। फिर जी हिन्दुस्तान भी पहुंचे।

टीवी-9 भारतवर्ष में संत प्रसाद राय (एसपी) को अजीत अंजुम जी ने ही बुलाया था। मगर, यह वह वक्त था जब अजीत अंजुम और विनोद कापड़ी से प्रबंधन बहुत खफा था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने चैनल की शुरुआत के समय एक समारोह के दौरान एक ऐसी टिप्पणी की थी जो बहुत वायरल हुई थी और जिसके निशाने पर ये दोनों महानुभाव थे। जल्द ही 2019 का आम चुनाव आया। नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बने। फिर अजीत अंजुम और विनोद कापड़ी का मोदी विरोधी मुहिम उल्टा पड़ गया। जिम्मेदारी आहिस्ता-आहिस्ता संत प्रसाद के कंधों पर आती चली गयी। टीवी-9 भारतवर्ष का प्रदर्शन भी लगातार सुधरता चला गया। 2022 आते-आते एसपी की मेहनत ने रंग दिखाया। कोरोना के दौर में जब टीआरपी आनी बंद हो चुकी थी और टीआरपी मैनेज करने का पर्दाफाश हो चुका था, टीवी ९ भारतवर्ष अपने संपादकीय सामग्री की गुणवत्ता की वजह से अपनी पहचाना बनाता जा रहा था। फिर वह दिन भी आया जब लगातार टीवी-9 भारत वर्ष ने नंबर वन के पायदान पर खुद को बनाए रखा।

प्रतिभा की पूछ कहां नहीं होती। लिहाजा लगातार चर्चा उड़ती रही कि एसपी अब कहीं गये कि तब कहीं गये। लेकिन, एसपी को टाइमिंग की पूरी समझ रही है। खबर तो सभी दिखाते हैं लेकिन खबर कब और किस हिसाब से दिखाई जाए, इसके उस्ताद रहे हैं एसपी। एबीपी का वाइस प्रेसिडेन्ट होकर एसपी ने पत्रकारिता जगत को चौंकाया है। मगर, अभी एसपी की उम्र 50 नहीं हुई है और उन्होंने बगैर किसी पत्रकारीय विरासत के इस मुकाम को हासिल किया है तो यह बहुत उपलब्धि वाली बात है।

एसपी कभी किसी को निराश नहीं करते। वे इस मामले में पूरी तरह संत हैं अपने नाम के अनुरूप। उनके पास अलग-अलग विचारधारा के लोगों की पूरी जमात होती है। मगर, मजाल कि कोई विचारधारा सिर चढ़कर उनके सामने बोलता दिखे। यह खासियत सभी संपादकों में नहीं होती। इस गुण के कारण एसपी सत्ता के गलियारे में होकर भी नहीं होते। सत्ता से दूर भी कोई एसपी को कोस रहा हो, ऐसा भी नहीं होता। एसपी न सत्ता के नजदीक होकर भी उसके करीबी नहीं कहलाते, विपक्ष के साथ होकर भी विरोधी नहीं बन जाते। यही वो मंत्र है जो पत्रकार एसपी से सीख सकते हैं। नयी पीढ़ी के पत्रकारों के लिए देश को ३० साल बाद एक और एसपी मिला है।

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