जल्द वो दिन आयेगा जब दुनिया के सारे नेता चुनाव हार चुके होंगे और हम विषगुरु होंगें
सुनील कुमार मिश्र
झोलाधारी फकीर कहते है पहले मै ग़रीब था इसलिए वडनगर में स्टेशन नही भी था, फिर भी मै स्टेशन पर चाय बेचता था। माँ दूसरों के घरों में बर्तन मांज कर घर का चलाती थी। फिर मै बड़ा हुआ, मार्केटिंग का काम सिखा और अपनी ग़रीबी की मार्केटिंग करते करते यहां तक पहुंच गया। अब ज़रुरत पड़ी एक अदद डिग्री की खुद ही विषय चुना, खुद से खुद को पढ़वाया, खुद ही परीक्षक, खुद ही विद्या-अर्थी और खुद कापी जांच के पास हो गये।
डिग्री भी खुद छपवाईं और हेयरलेसहेड अंकल से उसका सार्वजनिक प्रदर्शन करवा के पोस्ट ग्रेजुएट हो गये। आज ई गोला में कोई विषय ऐसा नही है, जिसकी ई झोलाधारी फकीर को जानकारी ना हो।
पहले मै खुद चुनाव लड़ता था। चुनाव लड़ते-लड़ते आज मै उस मुकाम पर पहुंच गया हूँ कि दुनियाँ के कद्दावर लोगों को चुनाव लड़वा कर रहवा रहा हूँ। जल्द वो दिन आयेगा जब दुनिया के सारे नेता चुनाव हार चुके होंगे और हम विषगुरु होंगें।
"मै" सिर्फ़ "मै"के बोध से नाक तक भरा, अपने फेफड़ों में जाने वाली हवा की आक्सीजन निकाल कर तरल अहंकारी ऊर्जा से संचालित भस्मासुर अवतार जिस पर हाथ रक्खिस भसम हो गया। आज एक और निपटा, दूसरा वाला 10 को निपटेगा।