अ---प्रिय "बेचन" परसाद उर्फ "फलाने जी" उर्फ "पाइरेटेड टैगोर जी" सादर त्राहिमाम, बीजेपी समर्थक न पढ़ें !
वाराणसी के वोटर के बड़ा व्यंग
विनय मौर्या।
हम यहां बनारस से आपका एक भूतपूर्व भोटर हूँ। जिसे 2014 में किसी खुजेले कुत्ते ने दौड़ा कर काटा था। इसलिए "आएगा तो फलाने ही" बोलता हुआ मैं भोट देने बूथ पर भागा था।
मुझे भी था तब आपके "ढेस नहीं बिकने दूंगा" टाईप के जुमले बाजी से प्यार। इसलिए स्वीकार लिया "आ बैल मुझे मार"।
खैर आप अपनी जगह सही हैं..."हमबानी हड्डानी" के खाता बही हैं। मगर यह बात हमें बाद में समझ में आई कि "बिल्ली से दूध की रखवाली" करने की क्यों उम्मीद लगाई।
आज आप सब कुछ बेचे जा रहे हो...पूंजीपटियों के लिए सर्र्कारी सम्पत्ति खेंचे जा रहे हो। देश की सम्पत्ति सब नीलाम करने की ठाने हो...अर्थव्यवस्था का कबाड़ करके मानोगे..??
जितनी आपकी दाढ़ी बढ़ती जा रही है...उससे ज्यादा देश में महंगाई मंदी से जनता मारी जा रही है।
अब कस्सम है तुम्हें तुम्हारे मन्दबुद्धि "बिकास" बच्चे की...वादा करो जनता के नहीं बेचोगे कभी कच्छे भी।
देखो रहम करो...देश की संपत्तियों की "भाईयों बैनो" मत करो...वरना एक दिन जलजला आएगा...तुम्हारी जिंदगी का भी "मीतरों" लग जायेगा।
इसलिए मुझपर रहम करो... मुझे नहीं चाहीये दिन अच्छे...बस बचा लूं तुमसे अपने कच्छे।
आपका पूर्व भोटर पूर्व भक्त
विनय मौर्या।