ईश मधु तलवार का निधन संपूर्ण साहित्यिक समाज के लिए अपूरणीय क्षति है

लिखने पढ़ने से जुड़ा कोई भी संदेह रहा हो ~ मैं बेकतकल्लुफ़ उनके पास पहुंच जाती थी और वे मार्गदर्शन को सदा उपलब्ध रहते थे।

Update: 2021-09-17 13:30 GMT

आज मन इस कद़र टूट रहा है कि स्वयं को सांत्वना देने के लिए शब्द नहीं मिल रहे। ईश मधु तलवार सर के अंतिम दर्शन के उपरान्त भी विश्वास नहीं होता कि वे नहीं रहे। अब उनका मुस्कुराता चेहरा नहीं दिखेगा। हमेशा हौसला अफ़ज़ाई करने वाली उनकी आवाज़ अब सुनने को नहीं मिलेगी। अब शुभाशीष और शाबाशियां कानों में नहीं पड़ेंगे।

लिखने पढ़ने से जुड़ा कोई भी संदेह रहा हो ~ मैं बेकतकल्लुफ़ उनके पास पहुंच जाती थी और वे मार्गदर्शन को सदा उपलब्ध रहते थे। निस्वार्थ भावना से सब को साथ लेकर चलना ~ आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करना ~ वरिष्ठ तथा समकालीन रचनाकारों के प्रति आदर और मुझ जैसे नवागन्तुकों का उत्साह वर्धन उन्हें बखूबी आता था।

आज सोशल मीडिया पर जब उनके लिए लिखे गए शोक संदेश पढ़ रही हूं ~ सब के मन में उनके प्रति प्रेम की झलक को कमोबेश महसूस कर पा रही हूं। साहित्य और लेखन संसार में उनका कद कितना ऊंचा रहा ~ यह तो सभी को मालूम है ~ लेकिन मन ज़ार ज़ार इसलिए अधिक हो रहा है चूंकि वे बहुत प्यारे इंसान थे। इतना सब कुछ हासिल कर लेने के बावजूद सदैव सहज ~ सरल और सौम्य। मधु [शहद] सी मिठास से भरे और ज़रूरत पड़ने पर तलवार जैसी धार रखने वाले।

यह घटना व्यक्तिगत ही नहीं ~ समूचे साहित्यिक समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।

- निवेदिता

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