बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई सत्ता का पतन, तय करेगा, 120 करोड़ लोगों के पास एक रूपये नहीं उनका जीवन कैसे चलेगा - डॉ सम्पूर्णानन्द मल्ल
राज्यव्यवस्था और हिंद के हिन्दुस्तानी लुटेरे "विरुद्ध" एक सशक्त जनांदोलन
120 करोड़ लोगों के पास एक रूपये नहीं उनका जीवन कैसे चलेगा। अब और अधिक बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई सत्ता का पतन, तय करेगा। इसलिए मैं बार बार लिखे पत्रों एवं ज्ञापनों में महंगाई मारने का सुझाव दे रहा हूँ।
चावल, आटा' गेहूँ, दाल तेल' चीनी' दवा 'हवा पानी' पर GST समाप्त करें। क्योंकि यह जीवन है। इस पर कर जीवन के मौलिक अधिकार (अनु 21) की हत्या है। इन पर कर कोई मनुष्य जाति या मनुष्य जाति की बनी संस्था कर नहीं लगा सकती। इन पर GST समाप्त कर दें।
जब राष्ट्रपति मंत्री, सांसद, विधायक सहित 38 VIP की गाड़ियो पर टोल टैक्स' नहीं लगता तो सड़को के लिए जमीन कर देने वाले एवं अपने श्रम' से सड़के बनाने वाले आम लोगों की गाड़ियों पर टोल क्यों ? पुराने जमाने की राह दारी' एवं गुंडा थैंक्स को याद दिलाता हैं।
यह समानता के मौलिक अधिकार (अनु. 14-18) की हत्या है क्योंकि वहाँ VIP आधार पर टैक्स मे, VIP लोगों के छूट का कोई उल्लेख नहीं है। जब लोगों के पैरो 02 में TAX रूपी जंजीरें डाल दी जाएगी तो कहाँ आने जाने की स्वयंता (अनु 14) के से आबाद रहेगी निजी गाड़ियो पर खेल समाप्र के
• यदि 'जीवन' एवं' संविधान को जीवित रखना है तो 'समान' एवं 'फ्री' शिक्षा चिकित्सा 'न्याय' रेल संचार करना पडेगा।
• यदि महंगाई मारनी है तो डीजल' पेट्रोल CNG धरेलू गैस सिलि. क्रमश 64, 71 , 60 , 594 रुपये का करना पड़ेगा क्योंकि कोरोन काल (लाकडाउन से पूर्व यही दरें थी। संसद के बाहर जारी मनमाने आदेशों को सरकार वापस ले ले अन्यथा सत्याग्रह कर इसे वैसे ही तोडूंगा जैसे गाँधी ने नमक कानून तोड़ा था।