वीआईपी का बिगडैल लौंडा!
लगभग 20 साल पहले चाचा ट्रक लेकर कोलकाता आए और हावड़ा से बाहर ट्रांसपोर्ट में रुके। वहाँ जनसत्ता पड़ा था, उसमें बतौर संपादक मेरा नाम छपा देखकर उन्होंने अख़बार के दफ़्तर में लैंड लाइन पर फ़ोन किया..
- शंभूनाथ शुक्ल ( वरिष्ठ पत्रकार )
हमारे एक चाचा हैं, नाम है मुंशीलाल पर हम उन्हें दद्दू कहते हैं। कुल चार साल मुझसे बड़े हैं लेकिन चाचा हैं सगे सो चाचागिरी कभी-कभी दिखा देते हैं। चाचा पहले ट्रक ड्राइवर थे लेकिन आजकल गाँव में रहते हैं। और खेती करवाते हैं। लेकिन अब भी जब मूड आया तो नौकरी कर ली जब जी चाहा घर बैठ गए। शुरू-शुरू में चाची खूब खिसियाईं, रोई, पीटीं पर दद्दू पर असर नहीं। हार कर चाची ने खेती बटाई पर उठाई और खुद ही घर संभाल लिया। दो बेटियां ब्याह दीं और एक बेटा भी। बस एक बेटा बचा है।
लगभग 20 साल पहले चाचा ट्रक लेकर कोलकाता आए और हावड़ा से बाहर ट्रांसपोर्ट में रुके। वहाँ जनसत्ता पड़ा था, उसमें बतौर संपादक मेरा नाम छपा देखकर उन्होंने अख़बार के दफ़्तर में लैंड लाइन पर फ़ोन किया। रिशेप्शन से मुझे सूचना मिली तो मैंने अपने ड्राइवर को उस ट्रांसपोर्टर के ऑफ़िस में भेजा, वह दद्दू को ले आया। रात को मैं उन्हें घर ले गया। चाचा बोले चाहो तो मेरे साथ चलो अभी तो कानपुर से माल लेकर यहां आया हूं अब इंफल जाऊँगा फिर वहां से देखूंगा कहां का माल मिलेगा। मैने कहा चलिए। चाचा का ट्रक हावड़ा के किसी ट्रांसपोर्ट कंपनी में खड़ा था। वे मुझे अपने साथ ले गए और रात को बड़ा बाजार आकर माल उतारा। रास्ते में हावड़ा ब्रिज पर उन्होंने वहां खड़े हवलदार को पांच का एक सिक्का दिया। मैने कहा कि अरे यहां तो कम्युनिस्ट राज है यहां रिश्वत नहीं चलती। चाचा ने कहा कम्युनिस्ट राज है इसलिए पांच रुपये मुलायम सिंह का राज होता तो 50 रुपये और दिल्ली, हरियाणा व पंजाब में रेट मिनिमम सौ रुपये का है। यह दस्तूर है हम हर रेड लाइट पर दे देते हैं। फिर कोई झंझट नहीं चाहे जितना माल लादो चाहे जितनी बार रेड लाइट जंप करो। नार्थ ईस्ट के राज्यों में यह रेट पांच से दस रुपये के बीच ही था। पर नगालैंड में नगा आदिवासी भी हाथ दे देता तो दद्दू उसे भी पांच रुपये पकड़ा देते। मैने पूछा कि इन्हें क्यों देते हो? बोले यह नगाओं का दस्तूर है। अगर वो हाथ दे दे तो पांच रुपये पकड़ा दो वर्ना अगर उसने कहीं धावा बोल दिया तब फिर खैर नहीं। तब नृपेन दा के अगरतला में रेट बीस रुपये का था और अरुणाचल में 25 रुपये।
अभी कुछ वर्ष पूर्व चाचा ट्रक लेकर दिल्ली आ गए जा रहे थे मुंबई के पास, बोले चलोगे? मैने कहा अभी आप जाइए फिर अगली दफे चलूंगा। लेकिन उत्सुकतावश मैने ट्रैफिक वालों के रेट पूछ लिए। दद्दू ने बताया कि अब यूपी में योगी राज है। रिश्वत का कोई भरोसा नहीं, जिस पुलिस वाले का जितना मन किया माँग लिया। किसी का कोई भरोसा नहीं रह गया है गाजियाबाद में तो रेट 500 का है पर अगर नोएडा गए तो रेट दिल्ली वाला लगेगा यानी 1000 रुपये, हरियाणा तथा राजस्थान के बहरोड तक यही रेट है आगे फिर वही पाँच सौ रुपये। मोदी जी की प्रयोगशाला गुजरात में रेट दो सौ रुपये और अधिक है और महाराष्ट्र में 200 रुपये पर मुंबई में पाँच सौ रुपये। दद्दू ने कहा कि आजकल पंजाब का रेट भी पांच सौ चल रहा है पर बाकी देश में हालात इतने खराब नहीं हैं। एक दिलचस्प बात बताई कि बिहार में रेट आजकल यूपी से ज्यादा है लेकिन बंगाल में अभी भी 50 के नोट से काम चल जाता है। मैने पूछा कि माणिक बाबू के बाद के त्रिपुरा में? दद्दू ने बताया कि वहां भी रेट अब पचास रुपये का हो गया है।
दद्दू ने एक बात और बताई कि यूपी व बिहार में गाड़ी ओवरटेक करने के लिए कोई अगर दो बार लगातार डिपर दे तो समझ जाओ कि यह लौंडा वीआईपी है और साइड दे दो। मैने पूछा कि ये लौंडा वीआईपी क्या होता है तो दद्दू ने बताया कि किसी वीआईपी की बिगड़ैल संतान या कोई बोर्ड का चेयरमैन अथवा किसी विधायक अथवा संसद का क्षेत्र प्रतिनिधि।