जब बाबा नीम करोली जी ने कनेडियन महिलाभक्त सुनन्दा की माँ की विदेश में अदृष्य रहकर मदद की
सुबह वही व्यक्ति पुनः आ गया और उनसे बोला ... चलिए, आपको हवाई अड्डे तक छोड़ दूं आपका जहाज कुछ देर बाद के लिये न्यूयार्क रवाना हो जाएगा
" सुनंदा के बाबा कहाँ हो तुम.. ?"
कैनेडियन महिला सुनंदा मार्कस के परि वार जन सभी बाबाजी के भक्त हैं, पर सुनंदा का विशेष लगाव रहा। एक साधु पर समर्पित होने के कारण उनकी मां बाबाजी से चिढ़ गई थी वह अपशब्द भी कहती थी। त्रिकालदर्शी जानते थे याद तो करती है कुढ़ कर ही सही।
इसी दौरान सुनंदा की मां विदेश यात्रा पर निकलीं घूमघाम कर जब डेनमार्क पहुंचीं अर्थाभाव हो चला था और बीमार भी होगई। एक रात वे अपने होटल के कमरे में अचेतावस्था में जाने लगीं तो मैनेजर से सहायता भी न माँग सकीं और प्रलाप करने लगी, " सुनंदा के बाबा कहां हो तुम..? सहायता करो। तभी बंद दरवाजे से ही एक डॉक्टर आ पहुंचा उसने इंजेक्शन दवा आदि सब दी इन्हें आराम हो गया और वे सो गईं। उन्हें होश नहीं रहा कि पूछे कि किसने भेजा फीस कितनी है? तुम बंद कमरे में कैसे घुस आए ?
सुबह वही व्यक्ति पुनः आ गया और उनसे बोला ... चलिए, आपको हवाई अड्डे तक छोड़ दूं आपका जहाज कुछ देर बाद के लिये न्यूयार्क रवाना हो जाएगा। आपका टिकट बन चुका और उसने इनका सामान पैक किया फिर कार में बैठा कर ले चला। ये फिर पूछना भूल गईं कि कैसे मालूम कि मैं न्यूयॉर्क जाना चाहती हूं " होटल का हिसाब किसने किया? टिकट किसने लिया? हवाई अड्डे पँहुचा कर टिकट देकर हवाई किराए के हिसाब किताब के बारे में बिना कुछ बात किए वह व्यक्ति गायब हो गया बाबा जी की इस लीला का वर्णन मुझे सुनंदा ने स्वयं कैंची धाम में सुनाया।
:केहर सिंह