क्या नीतिश बनेंगे दूसरे जेपी नारायण

नीतिश कुमार एक चतुर राजनीतिज्ञ समझे जाते हैं और समीकरण बनाने बिगाड़ने में भी इनका कोई सानी नहीं समझा जाता है।

Update: 2022-08-09 17:13 GMT

हो सकता है कि लोग बिहार के ताज़ा सियासी घटनाक्रम को सिर्फ एक राज्य का सत्ता में केवल दलों का परिवर्तन समझ रहे होंगे लेकिन इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम का महत्व इतना है कि केन्द्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी के अजेय मिशन में बहुत बड़ी रुकावट पैदा हो गई है। पिछले दिनों महाराष्ट्र में हुए ऐसे ही सत्ता परिवर्तन को देखकर लग रहा था और भाजपा कर भी यही रही थी कि नीतिश कुमार को भी दूसरा उद्धव ठाकरे बनाकर बिहार पर पूर्ण रूप से कब्जा जमा लिया जाए। बिहार की धरती ने पहले भी इंदिरा गांधी की निरंकुश सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की थी और इस बार भी निरंकुश हो रही भाजपा सरकार के खिलाफ भी बिहार ही आवाज़ उठाने का माध्यम बनेगा और शायद इस बार मोर्चा संभालेंगे नीतिश कुमार।

नीतिश कुमार एक चतुर राजनीतिज्ञ समझे जाते हैं और समीकरण बनाने बिगाड़ने में भी इनका कोई सानी नहीं समझा जाता है। भाजपा ने बस इसी बात को भूलकर बिहार में अपनी परंपरागत जोड़तोड़ की राजनीति करनी चाही लेकिन नीतिश ने यह सब भांपकर अपने मोहरे सीधे करने शुरू कर दिए और रमज़ान में रोज़ा इफ्तार पार्टी में तेजस्वी से बढ़ा प्रेम मुहर्रम के दिन अंजाम को पहुंच गया। अब भाजपा की ओर से नीतिश कुमार को नैतिकता सिखाने वाले बयान खूब आ रहे हैं। नीतिश कुमार का पिछले आठ साल में तीसरा इस्तीफा है।

इस पूरे मामले में सोनिया गांधी की भी बहुत अहम भूमिका रही है। सही मायने में राजद द्वारा नीतिश कुमार को मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकृति सोनिया गांधी के कहने पर हुई है ऐसा अंदर के सूत्र बता रहे हैं। उत्तर प्रदेश के बाद बिहार का भाजपा के हाथ से पूरी तरह सरक जाना वाकई भाजपा के चाणक्य अमित शाह के लिए अचंभे की बात होगी लेकिन नीतिश का भाजपा से अलग होकर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से बात करना एक बड़े राजनीतिक परिवर्तन की ओर इशारा कर रहा है।

भाजपा के खिलाफ अकेले मैदान में खड़े होने का प्रयास कर रही कांग्रेस को नीतिश के रूप में एक चतुर खिलाड़ी का मिल जाना कम अहमियत की बात नहीं है। अन्य दलों के नेताओं को ईडी द्वारा जिस प्रकार डराकर चुप रहने पर मजबूर कर दिया गया उन परिस्थितियों में नीतीश कुमार का भाजपा का साथ छोड़ कर खड़ा हो जाना एक बड़े तूफान की ओर इशारा कर रहा है। नीतिश कुमार ने यदि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ खड़े होने का मजबूत फैसला किया तो फिर एक बड़ा भाजपा विरोधी मोर्चा खड़ा अवश्य हो जाएगा। नीतिश कुमार पिछड़ा वर्ग के एक मजबूत नेता माने जाते हैं और भाजपा भी पिछड़ा वर्ग को ही साधकर अपनी राजनीतिक नैया को बिना किसी बाधा के किनारे पर लगा देना चाहती है। नीतिश कुमार कुर्मी बिरादरी से आते हैं जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी अच्छी खासी संख्या में आबाद हैं और कुर्मियों का पूरा वोट भाजपा को मिला था, नीतिश कुमार के भाजपा विरोध करने से बिहार से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश तक भाजपा को बड़ा नुकसान होगा और यदि भाजपा नीतिश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोलती है तब यह नुकसान और बढ़ता जाएगा।

भारतीय जनता पार्टी वर्तमान में उत्तर प्रदेश के अलावा किसी बड़े राज्य में सत्ता में नहीं है। इसलिए उसे अजेय मानने वाले लोग यह समझते हैं कि भाजपा को हराया नहीं जा सकता उनकी भूल है। जब कोई हराने के लिए खड़ा हो जाएगा तब भाजपा का विजयरथ रुकने लगेगा। धीरे धीरे ईडी और सीबीआई का डर भी नेताओं के दिलों से निकलेगा तब वह भाजपा विरोध के लिए कमर कसनी शुरू कर देंगे। यह भी हो सकता है कि कुछ दिनों बाद नीतिश कुमार बिहार को तेजस्वी के सपूर्द कर केंद्रीय राजनीति का दशा और दिशा बदलने के लिए दिल्ली की तरफ कूच करें और ऐसा होने की संभावनाएं भी बहुत ज्यादा हैं इसका कारण है कि छोटे दलों में भाजपा को लेकर दहशत बैठ गई है कि भाजपा उनके वजूद को ही खा जाना चाहती है।

नीतिश कुमार भाजपा के साथ रहकर भी सिकुलर चेहरे वाले नेता गिने जाते रहे हैं। और हो सकता है कि केंद्रीय राजनीति में किसी मोर्चे के समन्वयक के रूप में जिम्मेदारी निभाएं जिसे पीछे से कांग्रेस की ताकत प्राप्त हो। कांग्रेस को एक मजबूत पिछड़े वर्ग के नेता की तलाश बहुत दिनों से है जिसे वह नरेंद्र मोदी का विकल्प बनाकर पेश कर सके और नीतिश कुमार वह सारे मापदंड पूरे करते हैं। कई बार मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहने का सफल अनुभव नीतिश कुमार के पास है तो इतने कामयाब राजनीतिक व्यक्ति को सामने रखकर मोदी का मुकाबला करने में कोई हानि है ऐसा राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं। अभी जो झटके भाजपा को लगने शुरू हुए हैं शायद धीरे धीरे और बढ़ते चले जाएं । भाजपा के केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता जो नागपुर से भाजपा का प्रतिनिधित्व करते हैं जहा संघ मुख्यालय मौजूद है उनका अपनी सरकार पर तंज कर देना भी कोई कम बात नहीं है इससे लगता है कि भाजपा की अंदरूनी स्थिति भी बहुत ज्यादा बढ़िया नहीं है। आगामी लोकसभा चुनाव के बचे दो साल और क्या क्या राजनीतिक करवटें बदलते हैं देखने वाली बात होगी। फिलहाल तो नीतिश कुमार ने भाजपा को बड़ा झटका देकर सकते में डाल दिया है और अब इंतजार है भाजपा की प्रतिक्रिया का कि भाजपा कैसे इसका डैमेज कंट्रोल करती है।

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