अखबार ने यह खबर इन दलों की नवीनतम ऑडिट रिपोर्ट से बनाई है और खबर में यह नहीं बताया है कि इसमें सत्तारूढ़ भाजपा का नाम क्यों नहीं है। उसकी ऑडिट रिपोर्ट दाखिल नहीं हुई है या हो चुकी या उसे करने की जरूरत ही नहीं है। यह भी नहीं लिखा है कि भाजपा को किसी कारण से छोड़ा जा रहा है या छोड़ना पड़ रहा है। कहने की जरूरत नहीं है कि भाजपा से संबंधित जानकारी के बिना यह खबर आधी-अधूरी है। फिर भी इस खबर का इंट्रो है, बीआरएस को बांड से सबसे ज्यादा, 529 करोड़ रुपये मिले हैं।
तृणमूल कांग्रेस को 325 करोड़ रुपये मिले यह भी हाइलाइट किया गया है। इसके साथ बताया गया है कि टीएमसी को कुल ३२९ करोड़ रुपये मिले और इनमें 97 प्रतिशत बांड से मिले हैं। इसी तरह यह भी बताया गया है कि बीआरएस को पहले के मुकाबले 3.4गुना ज्यादा मिले और 2021-22 में 153 करोड़ मिले थे जो 2022-23 में करीब साढे़ तीन गुना बढ़कर 529 करोड़ रुपये हो गये। कहने की जरूरत नहीं है कि यह खबर इलेक्ट्रल बांड से भाजपा को होने वाली कमाई से ध्यान हटाने के लिए है और इन आरोपों के जवाब की तरह है कि इलेक्ट्रल बांड से ज्यादातर कमाई भाजपा की होती है। इस खबर में आम आदमी पार्टी के 36.4 करोड़ की भी चर्चा है और यह 21-22 के 25.1 करोड़ रुपये से बढ़ गई है। खबर में भाजपा को चाहे जिन कारणों से छोड़ा गया हो पर मुझे यह खबर अधूरी लग रही है और खासकर इसलिए कि सरकार ने तमाम गैर सरकारी संगठनों के विदेशी चंदों पर किसी न किसी तरह से रोक लगा दी है और खुद के लिए पीएम केयर्स बना लिया है। इसमें सीएसआर के भी पैसे ले लिये हैं तथा पीएम केयर्स में ७००० करोड़ रुपये पड़े हुए हैं। कहने का मतलब यह है कि सरकार और सत्तारूढ़ दल के पास जब तमाम खजाने और धन हैं तब विपक्ष के एक दल को एक साल में अधिकतम 529 करोड़ मिलने का क्या मतलब है।
लाइवमिन्ट डॉट कॉम की 5 दिसंबर 2023 की एक खबर के अनुसार भाजपा को 2022-23 में 719 करोड़ रुपये मिले हैं। अखबार को ईसीआई की रिपोर्ट से मिली सूचना के अनुसार इस दौरान कांग्रेस को इलेक्ट्रल बांड से मिलने वाली राशि 79 करोड़ रुपए कम हो गई। आप जानते हैं कि राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने हिन्दी पट्टी के तीनों राज्य जीत लिये है। तब मैंने लिखा था कि भाजपा अगर चंदा या दान पाने में आगे है तो वोट पाने में भी आगे है और कांग्रेस अगर पीछे है तो इसका पता उसे मिलने वाले दान या चंदे से भी चलता है। ऐसे में टाइम्स ऑफ इंडिया में आज इस एक्सक्लूसिव खबर को स्थान क्यों मिला उसके कारण होंगे और मुझे पता चला तो मैं आपको अवश्य बताउंगा। जहां तक खबरों की बात है, टाइम्स ऑफ इंडिया में, संसद में दो युवकों के कूदने और धुंआ छोड़ने के मामले में कोई खबर पहले पन्ने पर नहीं है। द हिन्दू में यह खबर लीड है। शीर्षक है, सुरक्षा में सेंध विवाद पर संसद में हंगामा। यहां विपक्षी सांसदों के विरोध प्रदर्शन की खबर लीड है। दूसरे अखबारों में भी यह खबर पहले पन्ने पर है। उदाहरण के लिए इंडियन एक्सप्रेस और हिन्दु्स्तान टाइम्स।
इंडियन एक्सप्रेस में इस खबर का शीर्षक है, सुरक्षा में सेंध पर विपक्ष शाह के बयान के लिए अड़ा, सदन की कार्यवाही रोकी। आप जानते हैं कि इस मामले पर विरोध जताने के लिए इंडिया ब्लॉक के 14 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। इंडियन एक्सप्रेस ने आज इसे फ्लैग शीर्षक बनाया है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने विपक्ष के आंदोलन- प्रदर्शन के मुकाबले पुलिसिया कार्रवाई में प्रगति को महत्वपूर्ण माना है और उसकी खबर इन्हीं तथ्यों पर आधारित है। इसके साथ की खबर विरोध से संबंधित है। इसका शीर्षक है, विपक्षी नेताओं ने कहा हम सुरक्षा में सें का विरोध जारी रखेंगे और सदन के बीच (वेल) में विरोध करते रहेंगे। इन और ऐसी खबरों के बीच आज टाइम्स ऑफ इंडिया की लीड का शीर्षक है, पन्नून के खिलाफ साजिश में प्राग में गिरफ्तार भारतीय की अपील सुनने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार। संसद पर हमले के खिलाफ सांसदों के विरोध प्रदर्शन की खबर आज द टेलीग्राफ में भी लीड है। टाइम्स ऑफ इंडिया की लीड यहां सिंगल कॉलम में है। शीर्षक भी अलग है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट अपील सुनने के लिए तैयार हो गया है जबकि टेलीग्राफ ने बताया है कि संदिग्ध ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
आज के अखबारों में एक और महत्वपूर्ण खबर पहले पन्ने पर है (इंडियन एक्सप्रेस)। इसके अनुसार सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने कहा है कि अगर जज निर्भीक नहीं होंगे तो प्रशासन में दूसरों से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने इसे दूसरे पन्ने पर छापा है। अखबार के पहले पन्ने पर आधा विज्ञापन है और दूसरे पन्ने को पेज वन प्लस लिखा गया है। यहां इस खबर का शीर्षक है, न्यायमूर्ति कौल ने रिटायर होने से पहले अपने शानदार कैरयर के अंत में कहा, निर्भीक, टॉलरेंट और मानवीय रहिए।