महेश झालानी
यह तो तय हो चुका है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर जबरर्दस्त घमासान मचा हुआ है। सचिन की इच्छा है कि वह गहलोत को बेदखल कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो। लेकिन फिलहाल परिस्थियां इनके अनुकूल नही है और न ही वह अपनी दिशा तय कर पा रहे है। हालांकि सचिन ने गहलोत की नींद हराम कर रखी है, लेकिन वर्तमान में गहलोत की स्थिति काफी मजबूत है।
चुनाव जीतने के बाद अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जमकर धींगामुश्ती हुई थी। दोनों ही मुख्यमंत्री बनने के लिए ऐड़ी से चोटी का जोर लगा रहे थे। अंततः अपने निकटतम मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया और भंवर जितेंद्र सिंह के कहने पर पायलट को उप मुख्यमंत्री का पद स्वीकार करना पड़ा।
पायलट इस पद से संतुष्ट भी थे। लेकिन जब गहलोत की ओर से लगातार इनकी उपेक्षा होने लगी तो पायलट बागी बन गए और आज वे गहलोत की सरकार को नेस्तनाबूद करने के लिए खुलकर सामने आगये है। गहलोत ने कदम कदम पर पायलट का इम्तिहान लिया जिससे वे आहत होगये । सरकार में वे केवल दिखावे के उप मुख्यमंत्री है, लेकिन ना तो इनके पास कोई फाइल भेजी जाती है और न ही सरकार में इनकी कोई सहभागिता है । इसलिए अफसर भी पायलट से दूरी बनाकर चलते है।
पायलट के विभाग पंचायत राज में छह महीने तक अफसरों के बीच जोरदार घमासान मचा रहा । सारा मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया गया, लेकिन गहलोत ने बजाय मामला सुलझाने के इसको और हवा दी। अंत मे एसीएस राजेश्वर सिंह के आदेशों की अवहेलना करने वाली आरुषि मलिक को अजमेर का संभगीय आयुक्त बनाकर पायलट के ज़ख्मों पर मुख्यमंन्त्री ने और नमक छिड़क दिया । ऐसे कई अवसर आये जब मुख्यमंन्त्री ने पायलट की जमकर उपेक्षा की। नतीजन आज पायलट खुलकर अशोक गहलोत को चुनोती दे रहे है।
मुझे केंद्र की एक खुफिया एजेंसी के माध्यम से पिछले माह 8 जून को सूचना मिली कि दिल्ली में गहलोत की सररकर को गिराने की उच्च स्तरीय खिचड़ी पक रही है। गहलोत को जब यह खबर मिली तो उंन्होने आनन फानन में सारी बॉर्डर सील कर दी और विधायकों की करीब 10 दिन तक बाड़ेबंदी की ताकि कोई विधायक राज्यसभा चुनावो के दौरान इधर-उधर नही हो सके।
अधिकांश राजनीतिक लोगो को पता है कि अपने ससुर और साले फारुख और उमर अब्दुल्ला को छुड़वाने के बाद सचिन और गृह मंत्री अमित शाह के बीच काफी निकटता हो गई है। शाह ने सचिन को स्पस्ट कह दिया है कि वह पहले ग्राउंड मजबूत करें, तभी भाजपा उसकी कोई मदद कर सकती है। खुफिया सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों हुई एक गुप्त बैठक में निचोड़ यह निकला कि तख्ता पलट होने पर सीएम तो भाजपा का ही बनेगा।
एक यही ऐसी शर्त है जिसकी वजह से सचिन अपनी दिशा तय नही कर पा रहे है। सचिन के कुछ शुभचिन्तको का कहना है कि जब भाजपा में सीएम की कुर्सी नही मिल रही है तो कांग्रेस से दूरी क्यों ? उधर ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सचिन के लगातार संपर्क में है। सिंधिया चाहते है कि पायलट भाजपा में आ जाये। अमित शाह और सचिन के मध्य सिंधिया सेतु का कार्य कर रहे है।
यह तय माना जा रहा है कि गहलोत और पायलट की दिखावटी दोस्ती का पर्दाफाश हो चुका है। अब तक बचाव की मुद्रा में रहने वाले गहलोत अचानक आक्रामक मुद्रा में आगये है। शांत स्वभाव के लिए ख्यात गहलोत ने कल जिस तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस में आक्रामक रुख अख्तियार किया, वह इनके चरित्र से मेल नही खाता है। इशारों इशारों में उंन्होने पायलट के साथ साथ भाजपा नेताओं को भी एक तरह से चुनोती दे दी है। गहलोत अब राजनीति के मंझे खिलाड़ी बन चुके है। कल के पायलट जैसे दासियों नेताओ को वे जेब मे रखकर चलते है। इसलिए लोग इन्हें राजनीति का जादूगर कहते है।
बहरहाल ! सचिन और गहलोत के बीच चल रहे युद्ध का अब शीघ्र समापन होने वाला है। पायलट अब बचाव की मुद्रा में इसलिये आगये है कि दिल्ली में अब उनका कोई आका नही है । जिनको अपना आका मानकर चल रहे थे, उसके सितारे पहले से गर्दिश में है। सोनिया सचिन को कोई तवज्जो देती नही। आज जिस तरह सोनिया ने अंसतुष्ट विधायको से मिलने से इनकार कर दिया, उससे पायलट खेमे में गहरी हताशा है।
यह तय माना जा रहा है कि इस बार आर पार की लड़ाई होकर रहेगी। किश्तों में चल रही लड़ाई का इस बार समापन हो सकता है। चर्चा है कि सचिन को पीसीसी चीफ का पद छोड़ना पड़ जाए । सचिन इस पद पर प्रतापसिंह खाचरियावास को नियुक्त कराना चाहते है। जबकि गहलोत चाहते है कि इस पद पर राजेन्द्र पारीक, रघु शर्मा या हरीश चौधरी जैसा विश्वस्त व्यक्ति काबिज हो। कुछ भी हो, सचिन पायलट के लिए वर्तमान समय बेहद प्रतिकूल है। जादूगर ने सारे पासे पलट कर रख दिये है।
एसओजी के नोटिस को आलाकमान ने तलब किया
स्पेशल ओपरेशन ग्रुप (एसओजी)) द्वारा उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को विधायको की खरीद फरोख्त के सम्बंध में भेजे गए नोटिस के बाद भूचाल आ गया है। आलाकमान ने इस नोटिस की कॉपी माँगवाई है।
बताया जाता है कि सचिन पायलट ने अपनी नाराजगी का इजहार करते हुए राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे और संगठन सचिव के.वेणुगोपाल को इस नोटिस से अवगत कराया। पांडे ने भी नोटिस भेजने की कार्रवाई को उचित नही माना है।
ज्ञातव्य है कि मैंने करीब एक माह पहले ही लिख दिया था कि एसओजी और एसीबी पूछताछ के लिए सचिन पायलट, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत सहित भाजपा के अन्य नेताओं को तलब कर सकती है।
अंसतुष्ट विधायको से सोनिया नही मिलेगी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फिलहाल राजस्थान के अंसतुष्ट विधायको से मिलने से इनकार कर दिया। सचिन पायलट खेमे के करीब दो दर्जन विधायक सोनिया से मिलकर अपनी बात रखना चाहते थे। लेकिन मैडम की ओर से इन विधायकों को सूचित किया गया कि तबियत खराब होने की वजह से मैडम नही मिल सकती है। अब अंसतुष्ट नई रणनीति अपना रहे है। जब तक मैडम से मुलाकात नही हो जाती है, तब तक पायलट गुट कोई निर्णायक कदम नही उठाना चाहता है।