विधान सभा और लोक सभा चुनावों को लेकर भाजपा और कांग्रेस हुई सक्रिय
कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर हो सकता फेरबदल वहीं नड्डा करेंगे भरतपुर में सभा
इस वर्ष के अंत में राजस्थान विधानसभा सहित अन्य प्रदेशों में होने वाले विधानसभा चुनाव और उसके बाद चार से पांच महीने के बीच होने वाले लोकसभा के चुनाव को लेकर न केवल भाजपा और कांग्रेस बल्कि विपक्षी दल भी सक्रिय होते नजर आ रहे हैं। यह बताने की जरूरत नहीं की 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बाद अब जुलाई में फिर से विपक्षी दल शिमला में मिलेंगे जहां विपक्ष की भूमिका को सशक्त बनाने की रणनीति पर विचार विमर्श करेंगे। इसी तरह कांग्रेस और भाजपा भी पार्टी स्तर पर तैयारी में जुट गई है। पहले बात करते हैं भारतीय जनता पार्टी की तो भारतीय जनता पार्टी ने बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए बूथ विस्तारको की नियुक्तियां की थी अब आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लगभग दस लाख बूथ विस्तारको से वीसी के माध्यम से रूबरू होकर अपना संदेश दिया। इतना ही नहीं कल 28 जून से देश के विभिन्न 10 प्रदेशों से 900 बूथ विस्तारक राजस्थान आएंगे जहां प्रत्येक बूथ स्तर पर जाकर उन्हें दिए गए टास्क को एक सप्ताह तक क्रियान्वित करेंगे।
इतना ही नहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी 29 जून को राजस्थान के भरतपुर आ रहे हैं जहां वे विशाल महासभा को संबोधित करेंगे। नड्डा के भरतपुर दौरे को भी राजस्थान विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। 2018 में विधानसभा चुनाव में भरतपुर संभाग में भाजपा को सफलता नहीं मिल सकी थी। समझा जाता है कि इसी को लेकर नड्डा भरतपुर से अपनी शुरुआत कर रहे हैं। दूसरी तरफ बात करें राजस्थान कांग्रेस की तो खुद अशोक गहलोत महंगाई राहत शिविर के माध्यम से लगभग 5 दर्जन से ज्यादा क्षेत्रों में पहुंचकर नियमित रूप से वे आमजन के बीच पहुंच चुके है। इसके अलावा गहलोत जिस विश्वास के साथ आने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी सरकार को रिपीट होने का दावा कर रहे हैं उसी स्पीड से गहलोत हर वर्ग को कांग्रेस के प्रति आकर्षित करने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं।
वैसे तो बजट सत्र के दौरान उन्होंने सौगातों की घोषणाओं से राजस्थान की जनता को हर प्रकार से प्रभावित किया।। इसके अलावा गहलोत विभिन्न समाजों और क्षेत्र के लोगों के विकास के लिए बोर्ड के गठन की घोषणाओं के साथ उनके उत्थान का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। 2 दिन पहले ही यादव समाज के प्रबुद्ध जनों से मुलाकात के बाद उन्होंने श्रीकृष्ण बोर्ड के गठन की भी घोषणा की थी इसी के साथ गोविंद देव जी के दरबार में पहुंचकर दर्शन लाभ लिया इतना ही नहीं मंदिर परिसर में मौजूद महिला श्रद्धालुओं से भी वन टू वन कर उन से फीडबैक लिया। इसके साथ ही बताया जाता है कि प्रदेश प्रभारी के स्तर पर राज्य में सर्वे भी कराया गया जिसमें विधायकों के बारे में जानकारियां जुटाई बताया जाता है कि लगभग ढाई दर्जन विधायकों के विपरीत सर्वे में रिपोर्ट प्राप्त होने के कारण अब एक बैठक के माध्यम से ऐसे विधायकों से रंधावा रूबरू हो सकते हैं।
दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्तर पर भी राजस्थान के कांग्रेस के सियासी संकट को समाप्त करने के लिए एक बार फिर से तेज़ी आ गई है जहां आज कांग्रेस प्रभारी रंधावा के साथ पीसीसी अध्यक्ष डोटासरा और तीन सह प्रभारियों की कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल एक बैठक हुई है। अब एक-दो दिनों में राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे के सानिध्य में बैठक में कुछ अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। इसी के साथ जिला संगठन अध्यक्षों की नियुक्ति और जिन की पिछहत्तर सचिवों की नियुक्ति रोकी गई थी। उस सूची को भी फिर से जारी किया जा सकता है। गत वर्ष राजस्थान में उदयपुर में हुए कांग्रेस के नव संकल्प अधिवेशन में लिए गए निर्णय के अनुसार 50% पचास वर्ष से कम आयु के कार्यकर्ताओं को विधायक का टिकट देने के निर्णय पर भी मंथन हो रहा है।
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़े पैमाने पर कुछ बदलाव कर सकता है जिसमें प्रमुख रुप से लंबे समय से उत्तर प्रदेश के प्रभारी पद पर अपनी जिम्मेदारी निभाने वाली कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को कोई बड़ी जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। प्रियंका ने पिछले दिनों प्रभारी पद से मुक्त होने के संबंध में खरगे को सूचित कर दिया था। कुल मिलाकर कांग्रेस और भाजपा लगातार विधानसभा और लोकसभा चुनाव मैं जीत हासिल करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से सक्रिय होती दिखाई पड़ रही है!