राजस्थान में बीजेपी उतारेगी विधानसभा चुनाव में सांसदों को, वजह जानकर हैरान होंगे आप!

आज विधानसभा चुनाव के मुहाने पर बीजेपी नेतृत्व के संकट में फंसी हुई खड़ी है। जीतने लायक उम्मीदवार ढूंढ रही है और वर्तमान सांसदों पर दांव खेलने की सोच रही है।

Update: 2023-08-27 08:17 GMT

भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में विधानसभा चुनाव में उतरने की पूरी तैयारी में जुटी हुई है। बीजेपी की पुरजोर कोशिश है कि इस बार विधानसभा में राजस्थान में परचम लहराया जाए। इस जीत के लिए भाजपा ने अपने चार मौजूदा सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी की है। यह वह सीट हैं जो भाजपा के लिए कठिन है या फिर अंदरूनी सर्वे में कमजोर बताई गईं है।  इन सांसदों में राज्यसभा सांसद डॉक्टर किरोडी लाल मीणा, सवाई माधोपुर सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया, भरतपुर सांसद रंजीता कोली और झुंझुनू सांसद नरेंद्र सिंह के नाम हैं। जयपुर की किसी सीट से राजसमंद सांसद दिया कुमारी के भी लड़ने की तैयारी है। फिलहाल पार्टी सूत्रों का कहना है फिलहाल चार सीटों पर पार्टी यह प्रयोग करने पर विचार कर रही है। 

कौन सी सीट टक्कर में

- सुखबीर जौनपुरिया को कोटपूतली से चुनाव लड़ा सकती है इसकी वजह भाजपा सिर्फ एक बार वह चुनाव जीती है।

- डॉक्टर किरोडी लाल मीणा को टोड़ा भीम, राजगढ़, लक्ष्मणगढ़ या फिर सवाई माधोपुर से चुनाव लड़ने का विचार कर सकती है।

- दिया कुमारी को जयपुर में किसी भी सीट से उतर सकती है।

- इसकी वजह यह है यहां की सभी सीटों पर लड़ाई कठिन होने जा रही है

2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कद्दाबर नेता किरोड़ी लाल मीणा ने बीजेपी से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई और विधानसभा का चुनाव लड़ा। उनकी पत्नी गोलमा देवी भी विधायक बनी और अशोक गहलोत सरकार में मंत्री भी बनीं। 6 महीने बाद लोकसभा का चुनाव आया। कांग्रेस की सरकार थी और उत्साह चरम पर था। कांग्रेस ने "मिशन-25" का नारा दिया था। तब किरोड़ी ने खुला चैलेंज दिया था कि कांग्रेस को अपने टारगेट को करेक्ट कर लेना चाहिए क्योंकि दौसा सीट पर तो मैं लड़ने वाला हूं।

राजस्थान जैसे प्रदेश में बहुत कम होता है कि कोई बिना पार्टी का उम्मीदवार लोकसभा की सीट निकाल सके लेकिन किरोड़ी लाल मीणा ने यह कर दिखाया और दौसा सीट एक लाख से ज्यादा वोटो से निर्दलीय जीत ली।‌ उस चुनाव में कांग्रेस ने 1985 के बाद बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 20 लोकसभा सीटें जीत ली थी। बीजेपी के हाथ सिर्फ चार लोकसभा सीटें आई। आज विधानसभा चुनाव के मुहाने पर बीजेपी नेतृत्व के संकट में फंसी हुई खड़ी है। जीतने लायक उम्मीदवार ढूंढ रही है और वर्तमान सांसदों पर दांव खेलने की सोच रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर पिछले 9 साल से सत्ता सुख भोग रहे भाजपा के सांसदों के पसीने लोकसभा से इतर किसी अन्य चुनाव के नाम से छूट जाते हैं लेकिन किरोड़ी लाल मीणा जनता से सीधे जुड़े हुए होने के चलते किसी भी चुनाव में हंसते-हंसते उतर भी सकते हैं और चुनाव भी निकाल सकते हैं। बाकी का कोई नहीं जानता।


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