अब कांग्रेस आपसी गुटबंदी को समाप्त करने के लिए नए फार्मूले के साथ आएगी सामने, गहलोत भी प्रवासी राजस्थानियों को देंगे सौगात!

Congress will now come up with a new formula to end factionalism

Update: 2023-06-15 07:33 GMT

रमेश शर्मा 
कर्नाटक विधानसभा मैं चुनाव परिणाम से खुश कांग्रेस अब आने वाले समय में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी सरकार बनाने के लिए हर वो कोशिश कोई भी जिससे इन प्रदेशों में भी कांग्रेस सत्तारूढ़ हो सके। राजस्थान के साथ-साथ छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस के बड़े नेताओं में गुटबाजी व्याप्त है मगर राजस्थान के मुकाबले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में गुटबाजी कम है। बात करें छत्तीसगढ़ की तो वहां टी एस सिंह देव कांग्रेस नेतृत्व से नाराज हैं राजस्थान की तरह ही विधानसभा के पिछले चुनाव में छत्तीसगढ़ में सरकार बनने पर बघेल और सिंह देव को ढाई ढाई वर्ष मुख्यमंत्री बनाने का फार्मूला बनाया गया था मगर वह सफल नहीं होने पर टी एस टीएस सिंह देव नाराज चल रहे हैं उन्होंने कहा है कि कई पार्टियों के संपर्क में है लेकिन भी कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे।

इसी तरह मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह में असंतोष है मगर फिर भी सार्वजनिक रूप से वे दोनों एक-दूसरे के साथ हैं ऐसे में वहां कोई ज्यादा दिक्कत नहीं है। अन्य कोई कांग्रेस के नेता भी कमलनाथ से नाराज दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन राजस्थान में कांग्रेस के नेता गहलोत और पायलट को लेकर आलाकमान भी फिलहाल कोई ठोस फार्मूला नहीं निकाल पाया। भले ही पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन के आवास पर हुई बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने घोषणा कर दी थी कि पायलट और गहलोत एक साथ मिलकर राजस्थान में विधानसभा का चुनाव अभियान चलाएंगे लेकिन कोई फार्मूला सामने नहीं आने से और उसके बावजूद भी बयानबाजी जारी रहने से गहलोत और पायलट की सुलह को असफल ही माना जा रहा है।

अब चर्चा है कि क्योंकि विधानसभा के चुनाव में अधिक समय नहीं है ऐसे में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन इन्हें रणनीति तैयार की है जिसके तहत वह चुनाव होने वाले प्रदेशों में अब सभाओं का आयोजन करेंगे जिसका मूल मकसद यह होगा कि उन सभाओं में सभी नेता एक साथ एक मंच पर होंगे जिससे गुट बंदी में उलझे नेताओं में नजदीकी बढ़ेगी वहीं आमजन के सामने की सभी नेता एक मंच पर दिखाई देने से कांग्रेस में बिखराव होने की धारणा समाप्त होने की कोशिश की जाएगी। कुल मिलाकर अब कांग्रेस आने वाले दिनों में होने वाले विभिन्न प्रदेशों में विधानसभा चुनाव में योजनाबद्ध तरीके से सत्तारूढ़ होने की रणनीति बनाने में गंभीर हो गई है।

देखने वाली बात यह होगी कि कम से कम राजस्थान में आम सभाओं का दौर शुरू होने से पहले गहलोत और पायलट को संतुष्ट करने का क्या फार्मूला लाती है जो दोनों पक्षों को स्वीकार हो! ""गहलोत ने प्रवासी राजस्थानियों को खुश करने के लिए अब कुछ प्रदेशों में राजस्थान भवन बनाने के लिए योजना शुरू की है। गहलोत ने कर्नाटक,तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर नवी मुंबई में स्थित राजस्थान भवन की तर्ज पर बेंगलुरू, कोलकत्ता एवं चेन्नई में प्रवासी राजस्थानियों के लिए राजस्थान भवन निर्माण के लिए जमीन आवंटित करने का आग्रह किया है।

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि कोलकत्ता में रह रहे प्रवासी इस भवन में राजस्थानी व्यंजनों का लुफ्त उठा सकेंगे । इसी तरह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के स्टालिन को लिखे पत्र में गहलोत ने कहा कि चेन्नई में राजस्थान भवन के निर्माण से दोनों राज्यों के बीच एक-दूसरे की समृद्ध संस्कृतियों के संपर्क में वृद्धि होगी। इस से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि गहलोत जिस जोर शोर से राजस्थान में सरकार रिपीट करने की बात कर रहे हैं उसको कारगर सिद्ध करने के लिए हर तरह से प्रयासरत है।   

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