अड़तालिस हजार परीक्षार्थियों के लिए लाखों लोग परेशान, मुख्य मंत्री अशोक गहलोत जी नेट से नहीं तिजोरी से होते हैं पेपर लीक!
रमेश शर्मा
राजस्थान में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजनों के दौरान पेपर लीक होने की घटनाएं लगातार बढ़ती जाने के बावजूद भी सरकार की ओर से केवल यही जवाब दिया जाता है कि पेपर लीक करने वालों पर उन्होंने शिकंजा कस दिया लेकिन यह बातें केवल बयानबाजी तक ही सीमित रह जाती है और बार-बार पेपर होने की घटनाएं जवाबी होती जाती है।। पेपर लीक से जुड़े मुख्य अपराधी महीनों तक पकड़ से बाहर रहते हैं। मगर उन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए एक अलग बिल लाने के बावजूद भी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही।
इतना जरूर है कि पिछली बार जो पेपर लेकर घटना हुई उनसे संबंधित लोगों के बड़े-बड़े भवनों पर बुलडोजर जरूर चला गया। सबसे सबसे बड़ी बात यह है कि परीक्षाओं को लेकर सरकारी तंत्र भी विशेष रुप से परीक्षा आयोजन कराने वाले विभाग भी इस बात से संतुष्ट नहीं रहते हैं कि परीक्षाएं निश्चित रूप से चलाने के लिए क्या वे सफल हो सकेंगे! इसी को लेकर अभी कर्मचारी चयन आयोग द्वारा दी गई परीक्षा के दौरान मुख्य सचिव को पत्र लिखकर परीक्षा आयोजित होने वाले समय में और संबंधित जिलों में नोटबंदी करने की गुहार लगाई।। और नेट बंदी प्रभावी भी हुई। मगर मगर इस तरह के तुगलकी फरमान जारी करने वालों को शायद यह भान नहीं रहता है कि पेपर नेट बंदी से नहीं तिजोरी से लीक होते हैं। नोटबंदी के दौरान लाखों लोग परेशान होते हैं जिनके इन लोगों को कोई परवाह नहीं केवल फरमान जारी कर दिया और अपने आप को सुरक्षित मान लिया।। नेट बंदी के दौरान ऑन लाइन व्यवसाय से जुड़े कितने लोग प्रभावित होते हैं इसकी परवाह किए बिना इस तरह के आदेश जारी होते रहे हैं और समझा जाता है कि आगे भी होते रहेंगे।
इसी प्रकार सरकार वाही वाही लूटने के लिए बसों में परीक्षार्थियों के लिए यात्रा निशुल्क तो कर देती है मगर बसों का उसके मुताबिक शायद प्रबंध नहीं होने से बस स्टैंड पर बसों पर बेतहाशा भीड़ देखी जा सकती है।। बात यह नहीं कि सुविधाएं बंद होनी चाहिए लेकिन सुविधाएं देने से पहले आम लोगों को कोई परेशानी ना हो इसका भी प्रबंध पुख्ता रूप से किया जाना चाहिए।। बसों में भीड़ बढ़ने से आम यात्रियों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। कुल मिलाकर आज स्पष्ट रूप से देखने को मिला के जो लोग ऑनलाइन खाने पीने का सामान आर्डर करते हैं और जो लोग ऑनलाइन कैब यूज करते हैं उन लोगों को नेट के बिना कितनी परेशानी कोई होगी इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है इसके साथ ही जो ऑनलाइन अपना रोज का व्यवसाय करते हैं उनको कितना आर्थिक नुकसान हुआ होगा यह भी देखने वाली बात है।।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जब आप बारह बारह चौबीस चौबीस घंटे मोबाइल उपभोक्ता द्वारा एडवांस में किए गए नेट के भुगतान में से नेट बंद करते हैं तो संबंधित नेट कंपनी को भी यह आदेश देना चाहिए की नेट बंदी के दौरान जो नेट सप्लाई बंद रही उसका उतना ही समय पैकेज में बढ़ाया जाना चाहिए। कुल मिलाकर यह भी कहा जा सकता है कि सरकार केवल इस तरह की घोषणा करके अपने आप को यह साबित करना चाहती है कि हम पेपर लीक मामले में गंभीर हैं लेकिन यह गंभीरता कितनी असरदार है यह आम नागरिक और परीक्षार्थी भी भली भांति जानता है। हर परीक्षा देने वाला परीक्षार्थी और परीक्षा देने वाले के अभिभावक परीक्षा देने से पहले एक उम्मीद लगाते है की परीक्षा देने के बाद परीक्षार्थी को रोजगार सुलभ होगा लेकिन पेपर लीक होने के बाद में उस परीक्षार्थी की और उसके परिजनों की क्या मनो स्थिति होती है उस पर भी सरकार को गौर करने की जरूरत है।