नई सरकार करेगी नैकरशाही में भारी परिवर्तन, मुख्य सचिव उषा शर्मा का जाना तय
राजस्थान की राजनीति का नैकरशाही पर भी जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा । यदि प्रदेश में बीजेपी की सरकार आती है तो मुख्य सचिव से लेकर डीजीपी और अन्य अधिकारियों की अदला बदली होना सुनिश्चित है । मुख्य सचिव उषा शर्मा की 31 दिसम्बर को विदाई तय है । जबकि भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी वीनू गुप्ता का अब रेरा का अध्यक्ष बनना भी खटाई में पड़ गया है ।
जैसे कि संभावना व्यक्त की जा रही है कि प्रदेश में स्पस्ट रूप से बीजेपी सत्ता पर काबिज होने वाली है । (हालांकि मैं इससे सहमत नही हूँ) अगर बीजेपी सत्ता सम्भालती है तो नैकरशाही में जबरदस्त बदलाव होना संभावित है । जिलों के कलेक्टर, एसपी, सम्भागीय आयुक्त, रेंज आईजी, मुख्य सचिव और जेल, होम गार्ड, एसीबी आदि के डीजी भी बदले जाएंगे ।
उषा शर्मा अगले माह यानी दिसम्बर की आखिरी तारीख 31 को सेवानिवृत होने जा रही है । उनका कार्यकाल इसी तिथि को समाप्त होने जा रहा है । उषा शर्मा का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा, इसकी दूर दूर तक कोई संभावना नजर नही आती है । अब सवाल यह पैदा होता है कि उषा शर्मा के बाद मुख्य सचिव कौन ? वरिष्ठता के लिहाज से वीनू गुप्ता का नम्बर आता है । लेकिन उनका मुख्य सचिव बनना संदिग्ध है ।
राज्य सरकार वीनू गुप्ता को सेवानिवृति से करीब तीन महीने पहले 28 सितम्बर को रेरा का अध्यक्ष नियुक्त करने के आदेश भी जारी कर दिए थे और मुख्यमंत्री ने उन्हें अपनी शुभकामनाए भी दी । बावजूद इसके वे रेरा के अध्यक्ष पद ग्रहण क्यो नही कर पाई, यह अभी तक रहष्य बना हुआ है । वीनू गुप्ता ने अपने पद से रिटायर होने के लिए आवेदन भी किया था । फिलहाल उद्योग विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव पद पर तैनात है और वे भी 31 दिसम्बर को सेवानिवृत हो जाएंगी । ऐसे में वे रेरा का अध्यक्ष ग्रहण कर पाएंगी, संदिग्ध लगता है ।
अगला नम्बर आता है सुबोध अग्रवाल का । ये काफी विवादास्पद है और जल मिशन घोटाले के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय इनके आवास और कार्यालय पर छापा भी मारा था । ऐसे में इनको मुख्य सचिव बीजेपी की सरकार बनाएगी, कोई संभावना नजर नही आती है । वी.श्रीनिवास और शुभ्रा सिंह की भी संभावना नही लगती है । बदली हुई परिस्थिति में राजेश्वर सिंह नए मुख्य सचिव हो सकते है । वे कुशल प्रशासक होने के साथ साथ उज्ज्वल छवि के संवेदनशील अफसर है । अगरचे सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनते है, तब भी मुख्य सचिव यही हो सकते है ।
कानून डीजीपी उमेश मिश्रा को अपने दो साल के कार्य से पहले हटाया नही जा सकता है । उनका कार्यकाल अगले साल 2024 में 30 अप्रेल को समाप्त होने जा रहा है । नई सरकार इनको बिल्कुल भी बर्दाश्त नही करेगी । क्योकि हर सरकार अपनी पसंद का डीजीपी चुनना चाहती है । चूंकि कानूनन उमेश मिश्रा को डीजीपी के पद से 30 अप्रेल से पहले हटाया नही जा सकता है । ऐसे में संभावना यही है कि नई सरकार इनको छुट्टी पर भी भेज सकती है या ये स्वयं भी वीआरएस ले सकते है । यदि ऐसा नही हुआ तो किसी को कार्यवाहक डीजीपी बनाकर इनकी सभी प्रशासनिक शक्तियां छीनी जा सकती है ।
उज्ज्वल छवि के आधार पर भूपेंद्र कुमार दक,राजीव शर्मा या संजय अग्रवाल को अगला डीजीपी बनाया जा सकता है । डीजीपी के बाद एडीजी क्राइम और डीजी एसीबी का पद बहुत ही महत्वपूर्ण होता है । इन दोनों पदों में से किसी एक पद पर गोविंद गुप्ता को बैठाया जा सकता है । इनकी साफ सुथरी छवि है और निर्विवाद अधिकारी है ।
भाजपा की सरकार आने पर सबसे पहले उपरोक्त पदों के अतिरिक्त यूडीएच सेक्रेटरी, मुख्यमंत्री के सचिव, खान, पीडब्लूडी, जलदाय, वित्त और गृह सचिव को बदला जाना सुनिश्चित है । इसके अतिरिक्त जेडीसी, आबकारी आयुक्त, वाणिज्य कर आयुक्त, जयपुर और जोधपुर के कलेक्टर, डिविजनल कलेक्टर, आईजी रेंज को बदला जाएगा । यदि सरकार में कोई बदलाव नही हुआ तो अब तक मलाई खाने वाले अफसर अगले पांच साल तक मलाई ही खाते रहेंगे ।
यदि दोनों पार्टियों की स्थिति डांवाडोल रहती है यानी दोनों स्पस्ट बहुमत हासिल नही कर पाती है तो नई सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ और निर्दलीयों को पटाने में नैकरशाही की प्रमुख भूमिका रहेगी । जब तक नए मंत्रिमंडल का गठन नही हो जाता, तब तक मुख्यमंत्री की तमाम शक्तियां गहलोत के पास रहेगी । अफसर इनके इशारे पर कत्थक करने को विवश रहेंगे ।