अब आएंगे गधों के अच्छे दिन, उनकी पंसदीदा चीजों पर 6 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे
जालौर जिले के चितलवाना तहसील का गांव रणखार गुजरात सीमा से सटा है, जिसमें जंगली गधों का प्राकृतवास करीब 7288.61 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। पूरे क्षेत्र को कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया जा चुका है। अब संरक्षित क्षेत्र के सीमांकन, बाउण्ड्री पिल्लर्स, सुरक्षा के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए वन चौकियां, पानी के बहाव रोकने के लिए डाइक्स निर्माण, वॉटर होल्स और घांस के मैदान विकसित किए जाएंगे।
बता दें कि दो वॉच टॉवर्स का निर्माण भी किया जाएगा। जंगली गधों के अलावा कंजर्वेशन क्षेत्र में चिंकारा सहित कई प्रजाति के वन्यजीव बहुतायत में पाए जाने से पश्चिमी राजस्थान में इॅको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।
कच्छ के रण में पाए जाने वाला घुड़खर का वजन लगभग ढाई सौ किलो तक होता है और यह अधिकतम 70 किमी तक रफ्तार से दौड़ सकता है। लुप्तप्राय जीवों में होने से घुड़खर को वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम 1972 के अंतर्गत प्रथम सूची में रखा गया है। रणखार में 6 करोड़ की राशि स्वीकृति से लुप्त हो रहे जंगली गधों सहित क्षेत्र के अन्य वन्यजीवों के संरक्षण में मदद मिलेगी। साथ ही इॅको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।
चहेते भोजन के लिए बनेंगे मैदान
दुर्लभ जंगली गधे के संरक्षण के लिए रणखार क्षेत्र में सुरक्षा के बुनियादी ढांचे को विकसित करने का काम शुरू हो गया है। गधों के चहेते भोजन के लिए स्थानीय प्रजाति की घास लाणा के मैदान विकसित होंगे। इसके लिए वनविभाग की तीन हजार हेक्टेयर भूमि और शेष राजस्व भूमि का उपयोग किया जाएगा।
क्या है स्थिति
300 से ज्यादा संख्या है जंगली गधों की
7288.61 हेक्टेयर क्षेत्रफल रिजर्व घोषित
3000 हेक्टेयर वनभूमि और शेष राजस्व भूमि में प्राकृतवास
50 से अधिक प्रजातियों का संरक्षण
600 लाख की राशि राज्य सरकार ने की मंजूर
320 लाख रुपये घास के मैदान पर होंगे खर्च