राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, थानों में अरबों के वाहनों का अंबार क्यों ?
राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार दो सप्ताह में जानकारी मांगी है कि सुंदर भाई अम्बालाल देसाई एवं जनरल इंश्योरेंस कंपनी बनाम स्टेट ऑफ आंध्र प्रदेश के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए निर्देश की अनुपालना में पुलिस विभाग ने कोई परिपत्र अथवा आदेश जारी क्यों नही किया ?
इस संदर्भ में राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आज प्रदेश के मुख्य सचिव, वन विभाग के प्रधान सचिव, परिवहन विभाग के आयुक्त एवं गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से साथ-साथ पुलिस महानिदेशक, एसपी सवाई माधोपुर, टोंक एवं करौली से जवाब मांगा है।
वरिष्ठ पत्रकार महेश झालानी की जनहित याचिका के संदर्भ में मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायाधीश प्रकाश चन्द्र गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सतीश खंडेलवाल द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष निवेदन किया गया कि प्रदेश के लगभग सभी थानों में हजारों करोड़ के ट्रक, ट्रैक्टर, ट्रॉली, मोटरसाइकिल, बस, जुगाड़, कार एवं अन्य उपयोग के साधन विभिन्न अपराधों में जप्त किए हुए हैं।
खण्डेलवाल ने बताया कि ये वाहन छह माह से लेकर कई साल से थानों में जब्त है जिससे ये अनावश्यक रूप से खराब हो रहे हैं। जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट निर्देश हैं कि कोई भी जब्त वाहन अथवा आर्टिकल पुलिस स्टेशन में खड़ा रहने से उसके मालिक को भारी नुकसान होता है।
खण्डेलवाल ने दलील दी कि ये वाहन राष्ट्र की संपत्ति हैं जो खुले में खड़ा रहने से वह ना केवल रोड पर चलने के लायक रहते हैं बल्कि उनमें चोरी होने की भी पूर्ण संभावना लगातार बनी रहती है। खंडेलवाल ने कहाकि इन वाहनों के कारण दुर्घटनाएं भी घटित हो सकती हैं। क्योंकि उनमें जो सामान भरा रहता है उसका ना तो कोई पंचनामा बनाया जाता है ना ही संबंधित मजिस्ट्रेट को सूचित किया जाता है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समस्त राज्य सरकारों को तथा केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ सभी प्रदेशों के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को निर्देश दिए हैं कि वह इस संदर्भ में सर्कुलर जारी करें और आदेश की पालना सुनिश्चित करें। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह भी निर्देश दिए हैं कि यदि कोई अधिकारी अथवा राज्य सरकार इन निर्देशों को अमल नहीं करती है तथा वाहनों को मुक्त करने के संदर्भ में कोई सर्कुलर जारी नहीं करती है तो उसके लिए याचिकाकर्ता अथवा कोई पीड़ित पत्रकार यदि सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष आवेदन दाखिल करता है तो ऐसी स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय कठोर कार्यवाही करेगी। लेकिन ना तो राज्य सरकार द्वारा और ना ही पुलिस विभाग की ओर से आज दिनांक तक सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की पालना में कोई कमेटी अथवा सर्कुलर जारी नहीं किया है।
खण्डेलवाल ने अफसोस जाहिर करते हुए कहाकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की पालना के अभाव में हजारों करोड़ के वाहन विभिन्न अपराधों में पुलिस थानों में जब्त पड़े हैं । माननीय उच्च न्यायालय का ध्यान इस ओर भी दिलाया गया कि 38 पुलिस एक्ट जो कि रिपील हो गया है । बावजूद इसके, पुलिस द्वारा बहुत से वाहनों को जब्त कर रखा है जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है एवं पुलिस विभाग की अज्ञानता तथा लापरवाही का परिचायक है ।