राजस्थान राज्यसभा चुनाव : एसीबी हुई सक्रिय, मंत्री शेखावत से भी हो सकती है पूछताछ
महेश झालानी
भाजपा द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त के सम्बंध में पेश की गई लिखित शिकायत के बाद स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के साथ साथ भ्रस्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने भी तेजी से जांच प्रक्रिया प्रारम्भ करदी है। एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (इंटेलिजेंस) सीपी शर्मा के नेतृत्व में जांच के साथ साथ इस प्रकरण में लिप्त विधायको, एक केंद्रीय मंत्री, प्राइवेट व्यक्तियों, कंपनी के अधिकारियों की भूमिका के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्रित की जा रही है।
एसीबी सूत्रों ने बताया कि लिखित शिकायत प्राप्त होने के साथ ही इस प्रकरण से सम्बंधित तथ्य, दस्तावेज तथा काल रिकार्डिंग को खंगाला जा रहा है। चूँकि इंटेलिजेंस का कार्य केवल सूचना एकत्रित करना होता है, इसलिए एसीबी द्वारा किसी से पूछताछ नही की जाएगी। यह कार्य एसओजी द्वारा किया जा रहा है।
इस संबंध में सर्वप्रथम शिकायतकर्ता मुख्य सचेतक महेश जोशी के बयान लेने की प्रक्रिया प्रारम्भ होगई है। महेश जोशी के बयान और उपलब्ध कराए गए दस्तावेज आदि के बाद एसओजी आगे की रणनीति तय करेगी। बयानों को लिखित शिकायत से मिलाया जाएगा। यदि जोशी कोई काल रिकॉर्डिंग या किसी व्यक्ति के बारे में संकेत करते है तो एसओजी की टीम द्वारा उसका सत्यापन किया जाएगा।
मुख्य सचेतक महेश जोशी के बयानों में कोई ठोस सबूत पाए गए तो एसओजी जन प्रतिनिधि अधिनियम, 1951 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर अदालत में दोषी व्यक्तियों के खिलाफ चालान भी पेश कर सकती है। जन प्रतिनिधि अधिनियम के अंतर्गत चुनावो में भ्रस्ट आचरण या रिश्वत लेने पर अदालत द्वारा दंडित करने का भी प्रावधान है। इसके अलावा निर्वाचन आयोग भी दोषी व्यक्ति को अयोग्य और दंडित कर सकता है।
विश्वस्त सूत्रों से मिली खबर के अनुसार केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इत्तिफाकन जयपुर आये थे अथवा उनकी इस एपिसोड में कोई भूमिका थी, इसकी भी जांच की जाएगी। फिलहाल कॉन्ग्रेस पार्टी के एक दिग्गज जांच के दायरे से बाहर है। लेकिन आवश्यकता हुई तो उनसे भी पूछताछ की जा सकती है। इस बात की भी पड़ताल की जाएगी कि इस नेता ने सभी कर्मचारियों को एकसाथ अवकाश पर क्यों गए।
जोशी की शिकायत के बाद निश्चित रूप से नए गुल खिल सकते है। जांच में कुछ ठोस नही मिला तो महेश जोशी का कुछ नही बिगड़ने वाला है। झूंठी या आधारहीन शिकायत करने पर सजा का कोई प्रावधान नही है। जोशी द्वारा शिकायत झूठी या मनगढ़ंत पाए जाने पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नही हो सकती है।
आईपीसी में केवल झूंठा मुकदमा (एफआईआर) दर्ज कराने पर ही पुलिस या अन्य कोई एजेंसी आईपीसी की धारा 182 के अंतर्गत कार्रवाई कर सकती है जिसमे 6 माह की सजा का प्रावधान है। सम्बंधित व्यक्ति केवल मानहानि (दीवानी, फौजदारी अथवा दोनों) का मुकदमा दायर कर हर्जाना मांग सकता है।
फिलहाल दोनों एजेंसियों की जांच का दायरा जयपुर तक सीमित है। आवश्यकता हुई टीम बाहर भी जा सकती है। एसीबी की टीम फिलहाल अपने सूत्रों और शिकायत में वर्णित तथ्यों के आधार पर सूचना एकत्रित कर रही है । एसीबी की पूरी टीम को सीपी शर्मा लीड कर रहे है। टीम में कुल व्यक्ति कार्य कर रहे है, इसकी जानकारी नही मिल सकी है। टीम के कप्तान लगातार अपने महानिदेशक आलोक त्रिपाठी के संपर्क में है और त्रिपाठी समय समय पर मुख्यमंत्री को ब्रीफ़ करते रहते है। एसओजी की टीम एडीजी अनिल पालीवाल के निर्देशन में काम कर रही है।
एसीबी की इंटेलिजेंस टीम को कोई पुख्ता सबूत हाथ लगा तो मामला एसीबी की ही क्राइम ब्रांच के पास चला जायेगा। बाद में एसीबी भ्रस्टाचार निरोधक अधिनियम के अंतर्गत दोषी व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर अदालत में चालान भी पेश किया सकता है। यदि कोई प्राइवेट व्यक्ति इस षड्यंत्र में लिप्त पाया गया तो एसीबी उसको मुख्य अथवा सह अभियुक्त बना सकती है।