Rajya Sabha election result: गहलोत ने बीजेपी को दिया जोर का झटका जोर से, राज्यसभा जीत से गहलोत की धाक और मजबूत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस के तीनों प्रत्याशियों को जिताकर सचिन पायलट को एक और गहरा झटका दिया है । इस जीत से गहलोत की गांधी परिवार में साख और मजबूत होगई है । जबकि पायलट के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है । शीर्ष नेतृत्व ने तीनों प्रत्याशियों की जीत के लिए गहलोत को बधाई दी है ।
जैसा कि पहले से उम्मीद थी, उसी के अनुरूप कांग्रेस के तीनों प्रत्याशी मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी ने राज्यसभा में जीत हासिल करली । जबकि बीजेपी समर्थित प्रत्याशी सुभाष चंद्रा को चारों खाने चित होना पड़ा । चन्द्रा की हार से बीजेपी के रणनीतिकारों की न केवल जबरदस्त पोल खुल गई है बल्कि जनता में उनकी थू थू हो रही है । चन्द्रा को अपनी हार का एहसास होगया था, इसलिए वे मतगणना से पहले ही खिसक लिए ।
संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस के तीनों प्रत्याशियों का जीतना तय था । लेकिन बीजेपी ने सुभाष चंद्रा को मैदान में उतारकर थोड़ी मुश्किल अवश्य पैदा करदी । नतीजतन कांग्रेस के साथ साथ निर्दलीय और बसपा विधायकों को 7-8 दिन उदयपुर के होटल में की गई बाड़ेबंदी में रहने को विवश होना पड़ा । कुछ विधायको के नखरेबाजी भी सामने आई । लेकिन गहलोत ने सबको राजी कर लिया । उसी का परिणाम है कि बिना किसी विध्न के तीनों प्रत्याशी सम्मानजनक तरीके से जीत गए । लेकिन बीजेपी पूरी तरह एक्सपोज होगई । पिछली दफा ओंकारसिंह लखावत को भागना पड़ा था । इस बार सुभाष चंद्रा बेआबरू होकर भागने को विवश है । यही नही कांग्रेस ने बीजेपी में तोड़फोड़ करने में भी कामयाबी हासिल की ।
गहलोत के लिए तीनो प्रत्याशियों को जिताना इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि सभी प्रत्याशी दिल्ली से भेजे गए थे । मुकुल वासनिक को सोनिया ने, सुरजेवाला को राहुल ने और प्रमोद तिवारी को प्रियंका ने भिजवाया था । इनमे से एक भी हार जाता तो गहलोत की जादुई छवि पर प्रतिकूल असर पड़ता और उनकी कुर्सी भी खतरे में पड़ जाती । इसलिए पिछले 10 दिनों से वे जी जान से मोर्चा जीतने के लिए प्रयासरत थे ।
ऐसी चर्चा थी कि राज्यसभा चुनावों के बाद राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन होगा । लेकिन इस जीत से गांधी परिवार में गहलोत की धाक और ज्यादा मजबूत होगई है । अब गांधी परिवार के पास ऐसा कोई मजबूत आधार नही है जिसकी वजह से गहलोत को हटाकर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद पर बैठाया जाए । गहलोत को बदला जाए, अब ऐसा बिल्कुल भी नही लगता । वे राज्यसभा के इम्तिहान में अव्वल नम्बर से पास होगये है ।
लगता है कि निकट भविष्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठना पायलट के भाग्य में नही लिखा है । मानेसर कांड ने उनके राजनीतिक भविष्य को चौपट कर दिया है ।
अगरचे सचिन को कुर्सी मिलती भी है तो उसका कोई औचित्य नही है । वैसे भी गहलोत इन्हें आसानी से काम करने देंगे, सम्भव नही लगता है । पूरी नौकरशाही गहलोत की मुट्ठी में है । सचिन एक ऐसे चौराहे पर खड़े होगये है जहां मंजिल पर जाने का कोई रास्ता सुझाई नही दे रहा है ।