सचिन पायलट को फिर मिलेगा बाबाजी का ठुल्लू
Sachin Pilot will get Babaji's Thullu again
महेश झालानी
भले ही इस वक्त कोई भविष्यवाणी करना बेमानी होगा, लेकिन यह तय है कि सचिन पायलट के हाथ कुछ नही लगने वाला है । कांग्रेस जीते या हारे, सचिन को मिलेगा केवल बाबाजी का ठुल्लू । कांग्रेस जीत गई तो मुख्यमंत्री होंगे अशोक गहलोत और पार्टी हार जाती है तो सचिन पायलट को फिर से पांच साल के लिए इंतजार करना पड़ेगा ।
अभी स्पस्ट तस्वीर उभरकर नही आई है । मगर भविष्य की राजनीति का निचोड़ यही है कि सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री नही बन पाएंगे । यदि सरकार कांग्रेस की बनती है तब भी सचिन मुख्यमंत्री बन जाएंगे, इसके बिल्कुल भी आसार दिखाई नही देते है । मुख्यमंत्री का पट्टा अशोक गहलोत अपने नाम पर लिखवाकर लाए है । कांग्रेस बहुमत के आसपास रहती है तो सुनिश्चित है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही बनेगे । सचिन को फिर से निराशा का मुंह देखना पड़ेगा ।
गहलोत राजनीति के माहिर खिलाड़ी है और मुख्यमंत्री की कुर्सी उनकी सबसे बड़ी खुराक है । आपको ध्यान होगा कि इसी कुर्सी के लिए गहलोत ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक को ठुकरा दिया था । इस बात को भी नही भूलना चाहिए कि इस निगोड़ी कुर्सी की खातिर गहलोत ने आलाकमान तक को अंगूठा दिखाया था ।
पिछले साल 25 सितम्बर की घटना को याद किया जाए तो सहज ही गहलोत की शातिर चाल याद आ जाएगी । अपने खास सिपहसालार शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ के कंधे पर बन्दूक चलाकर गहलोत ने मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन का शिकार किया । गहलोत की इस शातिर चाल से न केवल खड़गे और माकन लहूलुहान हुए बल्कि सोनिया तथा राहुल की ऐतिहासिक फजीहत हुई । महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ की क्या दुर्गति हुई, बताने की आवश्यकता नही है ।
सचिन को यह नही भूलना चाहिए कि राजनीति के मामले में वे गहलोत के मुकाबले अभी भी नौसिखिये है । गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी से बेदखल करने के लिए सचिन ने अपने तरकश के सभी तीर का इस्तेमाल किया । लेकिन वे गहलोत का बाल भी बांका नही कर पाएंगे । भविष्य में भी वे गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने से रोक पाएंगे, ऐसा सोचना भी पाप है ।
सचिन पायलट फिर एक ऐसे चौराहे पर खड़े हो गए है जहाँ आगे का रास्ता दिखाई नही दे रहा है । इधर गिरे तो कुंआ और उधर गिरे तो खाई । कॉग्रेस के लिए पसीना बहाने का मतलब गहलोत के लिए रेड कार्पेट बिछाना । पार्टी को हराना उनकी फितरत में शामिल नही है । इसलिए वे दिल से कांग्रेस को जिताने के लिए पसीना नही बहा रहे है । फिलहाल वे अपने समर्थकों के प्रचार और प्रसार के लिए सीमित है ।
उधर सर्वे चीख चीख कर कह रहे है कि सचिन की अनदेखी करना कांग्रेस के लिए बेहद घातक साबित होगी । यह बात गहलोत के दिमाग मे पूरी तरह फिट बैठ गई है । इसलिए अब कांग्रेस के पोस्टर और होर्डिंगों में गहलोत के साथ साथ सचिन के फोटो को भी प्रमुखता दी जा रही है । हो सकता है कि आने वाले दिनों में दोनों मंच पर न केवल साथ दिखाई दे बल्कि भरत मिलाप के दृश्य भी जनता रूबरू हो सकती है ।
अभी तक सर्वे कह रहे है कि कांग्रेस की रवानगी होने वाली है । अगरचे कांग्रेस की 75 सीट के आसपास भी आगई तो सरकार बीजेपी की नही, कांग्रेस की ही बनेगी । क्योंकि नरेंद्र मोदी और अमित शाह भी गहलोत के सामने राजनीतिक दृष्टि से बच्चे है । गहलोत विधायको को तोड़ना भी जानते है और जोड़ना भी । यह बात गहलोत कई बार साबित भी कर चुके है ।
बहुमत नही होने के बाद भी जोड़तोड़ कर गहलोत सरकार बनाने कामयाब हो सकते है । ऐसे में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद इसके मुखिया तो गहलोत ही होंगे, न की पायलट । और कांग्रेस हार गई तब भी सचिन के हाथ कुछ नही लगने वाला है । यानी कि मुख्यमंत्री की कुर्सी सचिन को मिलेगी, इसकी संभावना नजर आती नही है । आलाकमान आज हैसियत में नही है कि वह गहलोत के बजाय सचिन को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा सके ।