राजस्थान में अपनी उपेक्षा से दुखी है खेल मंत्री अशोक चांदना, फिर से इस्तीफा देने पर कर रहे है गंभीरता से विचार
अपनी उपेक्षा से दुखी खेल मंत्री अशोक चांदना की हालत बेहद खस्ता है । उनका मंत्री पद से मोह भंग हो चुका है । ऐसे में वे किसी भी दिन विस्फोट कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने गंभीर संकट उत्पन्न कर सकते है ।
चांदना को न केवल अफसरों द्वारा बल्कि खेल परिषद की अध्यक्ष कृष्णा पूनिया ने दरकिनार कर दिया है । खेल विभाग में इनकी हालत चपरासी से भी बदतर है । वे अंदर से बहुत आहत और दुखी है । लेकिन कोई उनकी सुन नही रहा है । यहां तक कि मुख्यमंत्री भी अब उनको सार्वजनिक रूप से डांटने लगे है । वे पहले भी इस्तीफे की धमकी दे चुके है । परंतु उसका भी कोई असर नही हुआ ।
चांदना के एक बहुत ही निकटवर्ती सूत्र ने बताया कि सहनशीलता की एक हद होती है । अब सारी हद पार हो चुकी है । ऐसे में चाँदना फिर से मंत्री पद छोड़ने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहे है । क्योंकि न तो खेल विभाग में इनको कोई अहमियत दी जा रही है और न ही जन सम्पर्क विभाग में । चांदना के पास खेल विभाग के अलावा जन सम्पर्क विभाग भी है । लेकिन ये नाममात्र के मंत्री है । मंत्री की इतनी हैसियत नही है कि वे एक चपरासी का भी तबादला कर सके ।
डीआईपीआर के पीआरबी सेक्शन में जितेंद्र कसाणा अपना तबादला यहां से दीगर जगह कराना चाहते है । लेकिन चांदना से कई बार लिखित आग्रह भी किया, लेकिन तबादला आज तक नही हुआ । जबकि जितेंद्र के पिता चांदना के अच्छे मित्र है । हकीकत यह है कि खेल विभाग की तरह जन सम्पर्क विभाग में भी मंत्री को टके के भाव नही पूछा जाता है । सारे निर्णय मुख्यमंत्री स्तर पर होते है । यहां तक कि चांदना के बारे में कोई रूल ऑफ बिजनेस के आदेश जारी नही हुए है । चाँदना की हैसियत पोस्ट ऑफिस से ज्यादा कुछ नही है । पत्रवली ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर भेजना ही इनका एकमात्र कार्य है ।
आपको ध्यान होगा कि चांदना ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका पर कई तरह आरोप लगाते हुए इस्तीफे की पेशकश की थी । खुद चाँदना ने माना था कि उनके साथ जलालत जैसा व्यवहार किया जा रहा है । ट्वीट करते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया था कि जलालत भरे मंत्री पद से उनको मुक्त कर सारा चार्ज कुलदीप रांका को दे दिया जाए क्योकि वही सभी विभागों के मंत्री है ।
इस ट्वीट के बाद मुख्यमंत्री ने चांदना की जबरदस्त खिंचाई की । लिहाजा उनको चुप होकर बिल में घुसना पड़ा । अब एक बार फिर चांदना का सार्वजनिक रूप से अपमान हुआ तो उनका मंत्री पद से मोह पूरी तरह भंग होगया है । हाल ही में ग्रामीण ओलम्पिक खेल आयोजन के अवसर पर उनकी कुर्सी तक नही लगाई गई । जबकि मंच पर खेल मंत्री होने के नाते उनकी कुर्सी लगना आवश्यक था । पूरा आयोजन कृष्णा पूनिया के हाथ मे था । ये बेचारे सबसे पीछे खड़े थे । बाद में मुख्यमंत्री की झिड़की के बाद इनके लिए अलग से कुर्सी लगाई गई ।
दरअसल चाँदना पहले सीएम के बेहद करीब थे । सचिन पायलट की भरपाई करने के लिए इन्हें मंत्री बनाया गया था ताकि गुर्जरो में अच्छा संदेश जा सके । लेकिन गुर्जरो में न इनकी पकड़ है और न ही उद्योग मंत्री शकुंतला रावत की । खबर यह भी मिली है कि चाँदना को मंत्री पद के साथ साथ मुख्यमंत्री से भी विरक्ति होगई है । इन हालातों में ये पायलट खेमे में भी जाने के कयास लगाए जा रहे है । गुर्जरो में इनकी बिल्कुल भी पैठ नही है ।