16 साल पहले आज की ही तारीख को हुआ था माही का सबसे बड़ा इम्तिहान
फाइनल में भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीत लिया और पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया।
माही का सबसे बड़ा इम्तिहान। 16 साल पहले आज की ही तारीख थी 24 सितंबर, साल था 2007 और T-20 वर्ल्ड कप फाइनल में भारत के सामने था पाकिस्तान। इसी मैच के बाद असल मायनों में धोनी एरा की शुरुआत हुई। यह मुकाबला वांडरर्स स्टेडियम, जोहान्सबर्ग में 34000 दर्शकों के सामने खेला जा रहा था। उस साल ODI वर्ल्ड कप के पहले दौर में ही बांग्लादेश के हाथों मिली शर्मनाक शिकस्त के साथ भारत का सफर समाप्त हो गया था। ऐसे में T-20 वर्ल्ड कप जीतना फैंस के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण था। ODI वर्ल्डकप में खराब प्रदर्शन के बाद देशभर में खिलाड़ियों के पुतले फूंके गए थे और मुर्दाबाद के नारे लगे थे। ऐसा लग रहा था कि भारतीय क्रिकेट फैंस को क्रिकेटर्स से नफरत हो गई है। महेंद्र सिंह धोनी के रांची वाले घर पर भी विरोध प्रदर्शन हुए थे। ऐसे में T-20 वर्ल्ड कप के लिए BCCI ने यंग टीम इंडिया भेजी थी। कोई भी इस टीम को ट्रॉफी का दावेदार नहीं मान रहा था। भारतीय टीम को हल्के में लिया जा रहा था।
फाइनल में भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीत लिया और पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया। आपको यकीन नहीं होगा, उस दिन गौतम गंभीर के साथ यूसुफ पठान ओपनिंग करने उतरे थे। हालांकि भारत को तीसरे ओवर की चौथी गेंद पर ही 25 के स्कोर पर पहला झटका लग गया था। यूसुफ पठान 8 गेंद में 15 रन बनाकर मोहम्मद आसिफ का शिकार बन गए थे। उस दिन गौतम गंभीर के अलावा सिर्फ रोहित शर्मा ही पाकिस्तानी गेंदबाजों का डटकर सामना कर पाए थे। गौतम गंभीर ने 54 गेंद पर 8 चौंकों और 2 छक्कों की मदद से 75 रन जड़े थे। गौतम का स्ट्राइक रेट 138.89 का था। अंतिम लम्हों में रोहित शर्मा ने 16 गेंद पर 2 चौकों और 1 छक्के की मदद से 187.5 की स्ट्राइक रेट के साथ 30* रन कूटे थे। भारत ने निर्धारित 20 ओवर में 5 विकेट के नुकसान पर 157 रन बनाए थे। किसी भी पाकिस्तानी गेंदबाज ने अपने कोटे में 30 से ज्यादा रन खर्च नहीं किए थे। उमर गुल को 3 सफलता मिली थी।
स्कोर उम्मीद से कम था लेकिन अब इसी को डिफेंड करना था। पाकिस्तानी सलामी बल्लेबाज मोहम्मद हफीज को पहले ओवर की पांचवीं गेंद पर विकेटकीपर रॉबिन उथप्पा के हाथों कैच आउट करवाते हुए आरपी सिंह ने टीम इंडिया को शानदार शुरुआत दी। हफीज के हिस्से 1 रन आया और पाक का स्कोर 2 पर 1 विकेट हो गया। आरपी सिंह की गेंद पर बोल्ड होने वाले कामरान अकमल का खाता खुला नहीं और 14 गेंद पर 4 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 33 रन बनाकर खेल रहे इमरान नजीर रन आउट हो गए। इसके बाद इरफान पठान ने 4 ओवर में 16 रन देकर 3 सफलता हासिल कर ली। इतना सब होने के बाद भी मामला अंतिम ओवर में चला गया। पाकिस्तान को 1 विकेट हाथ में रहते जीत के लिए 6 गेंद में 13 रनों की दरकार थी। स्ट्राइक पर मिस्बाह उल हक थे। धोनी के पास हरभजन सिंह से गेंदबाजी कराने का ऑप्शन था। पर कैप्टन कूल ने नए-नवेले जोगिंदर शर्मा के हाथ गेंद पकड़ा दी। अगर यह निर्णय उल्टा पड़ जाता, तो शायद धोनी को अपनी कप्तानी से हाथ धोना पड़ता।
पहली गेंद शॉर्ट ऑफ लेंथ आउटसाइड ऑफ और टप्पा बमुश्किल पिच पर पड़ा। अगर गेंद पिच से बाहर गिरती, तो नो बॉल करार दी जाती। फिलहाल अंपायर ने वाइड का इशारा किया। अगली गेंद शॉर्ट ऑफ गुडलेंथ आउटसाइड ऑफ और मिस्बाह प्ले एंड मिस कर गए। ओवर की दूसरी लीगल गेंद फुल टॉस आउटसाइड ऑफ और मिस्बाह ने स्ट्रेट बैक डाउन द ग्राउंड छक्का जड़ दिया। अब जीत के लिए 4 गेंद में केवल 6 रनों की दरकार थी। भारत में कई जगह टीवी बंद हो चुके थे। मिस्बाह उल हक 37 गेंद पर 4 छक्कों के साथ 43 रन बनाकर बल्लेबाजी कर रहे थे। ऐसे में लगभग तय था कि पाकिस्तान भारत को परास्त कर देगा। जोगिंदर शर्मा ने स्टंप्स पर फुलर लेंथ की गेंद रखी। मिस्बाह ने शॉर्ट फाइन लेग के ऊपर से स्कूप शॉट खेलने का प्रयास किया और श्रीसंथ ने कैच पकड़ लिया। भारत ने 5 रन से फाइनल जीत लिया। जोगिंदर शर्मा से आखिरी ओवर डलवाना महेंद्र सिंह धोनी का मास्टरस्ट्रोक माना गया। एक पल में समूचा भारत खुशियों में डूब गया। पाकिस्तान में मातम पसर गया।
T-20 वर्ल्ड कप 2007 के फाइनल मैच में मैन ऑफ द मैच चुने गए इरफान पठान ने कहा कि तब सोशल मीडिया नहीं था, लेकिन सब यही बात कर रहे थे कि पाकिस्तान के खिलाफ ये फाइनल कितना बड़ा होने वाला है। हम पहली बार इतने बड़े फाइनल में भिड़ रहे थे। इरफान पठान ने आगे कहा कि दबाव वास्तव में बहुत ज्यादा था। पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मैच में 4 ओवर करने के बाद मैं बेहद थक गया था। उन्होंने कहा कि मैं अपने पूरे करियर में कभी इतना थका नहीं था। ऐसा लगा रहा था कि मानो एनर्जी नहीं है। रोमांचक फाइनल मैच को याद करते हुए इरफान पठान कहते हैं कि पाकिस्तान ने अपना आखिरी विकेट मिस्बाह उल हक के रूप में खोया था, जिनका स्कूप शॉट हवा में चला गया था और श्रीसंत ने फाइन लेग पर कैच पकड़ा था। इरफान के मुताबिक श्रीसंत ने गेंद नहीं, वर्ल्ड कप पकड़ा था। जोगिंदर शर्मा से आखिरी ओवर डलवाना भारत के हक में गया था। Lekhanbaji को कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं कि 2007 टी-20 वर्ल्ड कप फाइनल का आपका फेवरेट लम्हा कौन सा है और आखिरी ओवर जोगिंदर शर्मा से करवाना सही था या गलत?🌻