पेस गेंदबाज़ों के ख़राब प्रदर्शन ने भारत को एशिया कप के सुपर फोर में लगातार दूसरी हार के लिए मजबूर कर दिया. भारत इस हार से फ़ाइनल की रेस से लगभग बाहर हो गया है. अब वह अपने प्रदर्शन से ज़्यादा दूसरों के प्रदर्शन पर निर्भर हो गया है. अब भारत फ़ाइनल में तब ही पहुँच सकता है, जब पाकिस्तान श्रीलंका और अफगानिस्तान से हारे और वह अफगानिस्तान को हराए.
श्रीलंकाई ओपनरों निसांका और कुसाल मेंडिस ने 174 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए आक्रामक अंदाज़ में खेल की शुरुआत की. भारतीय पेस गेंदबाज़ भुवनेश्वर कुमार, अर्शदीप सिंह और हार्दिक पांड्या में से कोई भी प्रभाव डालने में एकदम से असफल रहा. अर्शदीप ने तो पहले दो ओवरों में 24 रन दे दिए थे. यही वजह थी कि श्रीलंका ने पावर प्ले के छह ओवरों में 57 रन बनाकर मैच पर अपनी पकड़ बना ली. निसांका और मेंडिस ने ओपनिंग साझेदारी में 97 रन जोड़कर मैच को पूरी तरह से श्रीलंका की तरफ़ मोड़ दिया. दोनों ओपनरों ने अर्धशतक जमाए. निसांका ने चार चौकों और दो छक्कों से 52 रन और मेंडिस ने चार चौकों और तीन छक्कों से 37-37 रन बनाए.
श्रीलंका को आख़िरी दो ओवरों में जीत के लिए 21 रन की ज़रूरत थी. लेकिन टीम के सबसे अनुभवी गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार 19वें ओवर में उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके. उन्होंने ऑफ साइड वाइड यॉर्कर डालने के प्रयास में पहली दो गेंदें वाइड डाल दीं और कुल 14 रन देकर स्थितियां श्रीलंका के लिए आसान कर दीं.
इसलिए जब अर्शदीप आख़िरी ओवर फेंकने आए तो श्रीलंका को जीत के लिए सिर्फ़ सात रन बनाने थे. इस स्थिति में भी अर्शदीप ने पहली चार गेंदों में पर सिर्फ़ पाँच रन दिए. लेकिन पांचवीं गेंद पर वह बल्लेबाज को गच्चा देने में सफल हो गए. लेकिन पंत रन चुराने का प्रयास कर रहे बल्लेबाजों को रन आउट करने के प्रयास में गलत थ्रो करके दो रन दे बैठे और भारत छह विकेट से हार गया.
इस एशिया कप में भारतीय पेस अटैक प्रभावित करने में असफल रहा. जसप्रीत बुमराह चोटिल होने की वजह से टीम में थे नहीं, आवेश ख़ान के चोटिल होने से और झटका लग गया. लेकिन चयनकर्ताओं का मोहम्मद शमी को नहीं चुनना खलने वाला रहा है. चयनकर्ता इस बात को अच्छे से जानते थे कि शमी ने आईपीएल में शानदार प्रदर्शन किया था. इसके अलावा यूएई में टी-20 विश्व कप आयोजित होने पर साफ हो गया था कि यहाँ की विकेट पर पेस गेंदबाजों को भी कामयाबी मिलती है. इसके बाद भी शमी को नहीं चुनना खलने वाला रहा. इस मुक़ाबले में यदि शमी होते तो हालात बदल सकते थे.
भारत इस साल अक्टूबर में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्व कप को ध्यान में रखकर ही सारे प्रयोग कर रहा है. पर यह ध्यान देने वाली बात है कि ऑस्ट्रेलिया में ऐसे पेस गेंदबाज़ों को ले जाने की ज़रूरत है, जो 140 किमी. प्रति घंटे तक की रफ्तार निकाल सकें. श्रीलंकाई ओपनरों निसांका और मेंडिस दोनों ने भारतीय स्पिन जोड़ी युजवेंद्र चहल और रविचंद्रन अश्विन दोनों पर शुरुआत से ही आक्रामक रुख़ अपनाया.
इससे लगा कि इन दोनों की दाल गलने वाली नहीं है. लेकिन चहल ने अपने स्पिन के कमाल से एक समय तो भारत की मैच में वापसी करा दी थी. उन्होंने दोनों ओपनरों निसांका और मेंडिस के अलावा असलांका के विकेट निकालकर श्रीलंका का बिना नुकसान के 97 रन के स्कोर को चार विकेट पर 110 रन कर दिया था. इसमें अश्विन का गुनातिलका का विकेट भी शामिल था. यह मौक़ा था, जब लग रहा था कि भारतीय टीम श्रीलंका पर दबाव बना सकती है. लेकिन इस महत्वपूर्ण मौके पर कप्तान शनाका और राजपक्षे ने धड़कनों पर काबू रखकर नाबाद 64 रन की साझेदारी से बाजी को श्रीलंका के पक्ष में कर दिया. इस जोड़ी ने कभी भी अपने ऊपर रन गति का दबाव नहीं बनने दिया.
रोहित शर्मा की धमाकेदार पारी का फ़ायदा नहीं उठा सके
भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने पाकिस्तान की तरह आक्रामक अंदाज़ में शुरुआत तो नहीं की. पर एक बार जमने के बाद उन्होंने खुलकर हाथ दिखाए और शुरुआत में केएल राहुल और विराट कोहली के रूप में लगे झटकों से टीम को किसी हद तक उबार दिया. रोहित को सूर्यकुमार यादव के रूप में अच्छी जोड़ीदार भी मिला. इस जोड़ी ने तीसरे विकेट की साझेदारी में 96 रन जोड़कर भारत को बड़े स्कोर की तरफ़ बढ़ा दिया.रोहित शर्मा के आक्रामक अंदाज़ की वजह से भारत ने एक समय 12.1 ओवर में 110 रन बना लिए थे. यह वह समय था,जब लग रहा था कि भारत का स्कोर 200 के आसपास पहुँच जाएगा. लेकिन रोहित शर्मा के करुणारत्ने पर छक्का लगाने के प्रयास में निसांका के हाथों लपके जाने और इसके दो ओवर बाद ही सूर्यकुमार यादव के आउट होने से टीम को लगे झटके से टीम कभी उभरती नजर नहीं आई. रोहित ने 41 गेंदों में 72 रन बनाए. इसमें उन्होंने पांच चौके और चार छक्के लगाए. वहीं सूर्यकुमार ने 29 गेंदों में 34 रन बनाए.
तिहरे झटके ने भारतीय पारी की कमर तोड़ी
रोहित शर्मा और सूर्यकुमार यादव के पारी को मज़बूती प्रदान करने के बाद इसे बड़े स्कोर तक ले जाने के जिम्मेदारी हार्दिक पांड्या, ऋषभ पंत और दीपक हुड्डा पर थी. लेकिन यह तिकड़ी एक बार फिर असफल साबित हुई. दीपक तो एक बार कैच हो जाने पर गेंद नो बॉल होने की वजह से बच गए पर वह इसका फ़ायदा नहीं उठा सके और तीन रन बनाकर मदुशंका की गेंद पर बोल्ड हो गए. हार्दिक और ऋषभ दोनों रन गति बढ़ाने के प्रयास में बिग शॉट खेलने के प्रयास में कैच हुए. पंत और हार्दिक दोनों ने 17-17 रन बनाए.
किसी भी टीम की सफलता में अच्छी शुरुआत की अहम भूमिका होती है. पर भारतीय टीम ऐसा नहीं कर सकी. भारत स्कोर 13 रनों तक पहुंचते ओपनर केएल राहुल और विराट कोहली के विकेट गंवा चुका था. राहुल ने छह रन बनाए जबकि विराट कोहली खाता भी नहीं खोल सके. मदुशंका ने कोहली को क्लीन बोल्ड किया.