क्या राजस्थान में फिर से कोई नया गुल खिलने वाला है ?

Update: 2021-09-07 08:22 GMT

जब भी प्रेस वाले मुख्यमंत्री से यह सवाल करते कि क्या आपकी सचिन पायलट से अनबन चल रही है, अशोक गहलोत का जवाब होता था कि ये सारी बाते निराधार है । लेकिन बाद में उन्ही ने पायलट को नकारा, निकम्मा और ......बताया ।

मैंने 3 अक्टूबर, 2019 में एक पोस्ट डाली थी जिसमे स्पस्ट रूप से कहा था कि अपनी उपेक्षा से आहत पायलट कभी भी बगावत कर सकते है । मेरा कथन सौ फीसदी सच साबित हुआ । पायलट अपने 19 समर्थक विधायको के साथ गहलोत की सरकार को गिराने की साजिश के तहत हरियाणा के मानेसर चले गए थे । भले ही अब पुनः समझौता हो जाए, लेकिंन पायलट और उनके समर्थकों को छोड़ने के मूड में नही है ।

पायलट दर्जनों दफा दिल्ली जा चुके है । परंतु उन्हें आलाकमान की ओर से कोई अहमियत नही मिली है । यही वजह है कि पिछले एक साल से पायलट और उनके समर्थक विधायक अवसादग्रस्त है । न मंत्रीमंडल का विस्तार हुआ और न ही हुई राजनीतिक निययुक्तिया । आलाकमान छतीसगढ़ और पंजाब के मामले में तो तुरंत सक्रिय होगया, लेकिन एक साल से राजस्थान का मामला लटका पड़ा हुआ है ।

अजय माकन, कुमारी शैलजा और कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष भी गहलोत को समझाने का प्रयास कर चुके है । परन्तु किसी को सफलता हाथ नही लगी है । वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए गहलोत मंत्रीमंडल विस्तार करने के पक्ष में नही है । मैंने लिखा था कि अब देव सो रहे है, अतः अभी मंत्रीमंडल विस्तार की संभावना नजर नही आती है । गहलोत भले ही स्वस्थ होगये हो, लेकिन चिकित्सको ने उन्हें पूर्ण विश्राम की सलाह दी है ।

वर्तमान हालत को देखते हुए फिलहाल मंत्रीमंडल विस्तार या पुनर्गठन की संभावना कम है । दीपावली या अगले साल तक यह मामला खिंच सकता है । राजनीतिक निययुक्तिया और मंत्रीमंडल विस्तार के लगातार टलने से पायलट खेमे के विधायकों में भी जबरदस्त असन्तोष है तो गहलोत समर्थक विधायक भी अंदर ही अंदर कसमसा रहे है ।

आलाकमान के इशारे पर पायलट समर्थक विधायको ने फिलहाल अपना मुंह सील रखा है । लेकिन मंत्रीमंडल विस्तार में इसी तरह देरी होती रही तो कभी भी लावा फूट सकता है जिससे रसातल में जा रही कॉंग्रेस बुरी तरह तबाह और बर्बाद हो सकती है । सवाल यह भी है कि नकारा और निकम्मा फिर से कोई नया गुल खिलाने की योजना बना रहा है ?


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