क्या अब पंजाब के बाद राजस्थान में फेरबदल की तैयारी? सचिन पायलट ने राहुल गांधी से की लंबी मुलाकात

राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार में बहुचर्चित फेरबदल पिछले कुछ समय से लटका हुआ है...

Update: 2021-09-21 03:22 GMT

पंजाब (Punjab) में कांग्रेस (Congress) द्वारा कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) की जगह चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को मुख्यमंत्री बनाए जाने से राजस्थान (Rajasthan) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजनीति पर भी इसका असर पड़ता नजर आ रहा है. शुक्रवार को जब पंजाब में कांग्रेस नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी की जा रही थी. तब राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने भी पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी के साथ एक शांत बैठक की. राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार में बहुचर्चित फेरबदल पिछले कुछ समय से लटका हुआ है, और माना जाता है कि दोनों नेताओं ने राज्य की राजनीतिक स्थिति पर भी चर्चा की है.

राजस्थान के प्रभारी AICC महासचिव अजय माकन ने राज्य के कई दौरे किए हैं और सभी विधायकों के बातचीत की हैं. राज्य में विभिन्न बोर्डों और निगमों में राजनीतिक नियुक्तियों के अलावा, कैबिनेट में फेरबदल और उनके प्रति वफादार कुछ विधायकों को शामिल करने की मांग पायलट द्वारा पार्टी आलाकमान के सामने बार-बार रखी गई थी. लेकिन माकन के कई बार दौरे करने के बावजूद फेरबदल नहीं हुआ है.

पायलट को फिर से आश्वासन दिया गया

सूत्रों ने कहा कि इस बार हुई बैठक में पायलट को फिर से आश्वासन दिया गया है कि पार्टी में जल्द ही फेरबदल किया जाएगा. वहीं कल ही पार्टी नेतृत्व के जोर देने और पंजाब में अमरिंदर सिंह को बाहर करने के बाद अब राजस्थान में कांग्रेस नेता केंद्रीय नेतृत्व द्वारा निर्णायक हस्तक्षेप की उम्मीद कर रहे हैं. पायलट जुलाई 2020 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री थे. हालांकि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बागी रवैया अपनाने के बाद उनसे ये दोनों ही पद वापस ले लिए गए थे. पार्टी के एक सूत्र के मुताबिक, राहुल और सचिन की बैठक के दौरान राजस्थान में पायलट की बहाली को लेकर गंभीर रूप से चर्चा की गई.

पंजाब फेरबदल में राहुल गांधी का बड़ा योगदान

मालूम हो कि कल पंजाब में जो घटनाक्रम हुआ, उसमें भी राहुल गांधी का बड़ा योगदान माना जाता है. लंबे वक्त से राहुल का पंजाब के पूर्व कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ टकराव चल रहा था लेकिन हर बार कैप्टन के पार्टी छोड़ देने के डर से उन्हें अपने पैर खींचने पड़ जाते थे.

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